(lord hanuman temple) मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म के अभिन्न अंग हैं। इसलिए भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। यहां लाखों-करोड़ों हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित है। वहीं इनकी पूजा के लिए कई प्रकार के नियम बताए गए हैं। वहीं कई मंदिर रहस्यों से उलझे हुए हैं। जिनका पता लगाना मुश्किल आज भी वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बात करें, तो हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, फिर भी उनके एक पुत्र के होने की कथा है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
मकरध्वज मंदिर कहां स्थित है?
यह मंदिर द्वारका में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां भगवान हनुमान पहली बार अपने पुत्र मकरध्वज से मिले थे। मंदिर में हनुमान जी और मकरध्वज की प्रतिमा एक साथ स्थापित की गई है।
पवनपुत्र हनुमान अपने पुत्र के साथ मकरध्वज मंदिर में हैं विराजित
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि एक बार यात्रा करने के दौरान हनुमान जी समुद्र में स्नान कर रहे थे। इस दौरान एक मादा मगरमच्छ ने हनुमान जी का पसीना पी लिया। जिसके कारण मगरमच्छ के गर्भ से संतान उत्पन्न हुई। जिसके कारण उसे हनुमान जी का पुत्र मगरध्वज माना जाता है। महंत के अनुसार, हनुमान जी ने जो तपस्या की, वह मगरध्वज के पास स्थानांतरित हो जाती थी। मगरध्वज अत्यंत शक्तिशाली और इसका उल्लेख शास्त्रों में भी विस्तार से किया गया है। बता दें, तकरीबन 2000 साल पहले यहां पर जो साधु संत साधना करते थे।
इसे जरूर पढ़ें - इस मंदिर में भगवान हनुमान बने डॉक्टर और मूर्ति करती है नृत्य
उनको एक स्वप्न आया कि हनुमान जी उनसे कुछ कहना चाहते हैं कि उनकी और उनके पुत्र मगरध्वज की मूर्ति इस स्थान पर स्थापित की जाए। हनुमान जी का आदेश मानते हुए यहां मूर्ति की स्थापना की गई। यहां की खास बात यह है कि हनुमान जी और मगरध्वज की प्रतिमा के सामने बैठकर अगर कोई साधना करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती है। साथ ही शुभ फलों की भी प्राप्ति हो सकती है।
इसे जरूर पढ़ें - Lord Hanuman Puja : हनुमान जी की पूजा करते वक्त महिलाएं रखें इन 4 बातों का ध्यान
दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान राम लंका पर आक्रमण कर रहे थे तब हनुमान जी सीता की खोज में लंका गए थे। वहां उन्होंने वहां उन्होंने माता सीता को रावण के बंदीगृह में देखा। माता सीता ने उन्हें एक पान दिया। जिसमें उनका बीज थी। हनुमान जी ने वह पान पाताल लोक के राजा अहिरावण को दे दिया। अहिरावण की पत्नि ने वह पान खाया और फिर उनका एक पुत्र हुआ। यह हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज थे। बता दें, मकरध्वज एक वीर योद्धा बने और उन्होंने भगवान राम की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने रामायण युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और रावण के पुत्र इंद्रजित का वध भी किया। युद्ध के बाद भगवान राम ने उन्हें पाताल लोक का राजा बनाया।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit - Officialwebsite
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों