जून के दूसरे प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय, भगवान शिव की बनी रहेगी कृपा

ज्योतिष शास्त्र में भी प्रदोष व्रत के दिन उपाय करना बहुत शुभ माना जाता क्योंकि इस दिन किये गए उपाय बहुत सिद्धकर साबित हो सकते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं जून के दूसरे और आषाढ़ माह के पहले प्रदोष व्रत के दिन कौन से उपाय करें।
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प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और इसे रखने से कई लाभ मिलते हैं। मुख्य रूप से यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है और भक्त की मनोकामनाओं को पूरा करता है। इसे रखने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, धन, स्वास्थ्य और शांति की प्राप्ति होती है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत के अलग-अलग विशिष्ट लाभ भी होते हैं जैसे संतान प्राप्ति, कर्ज से मुक्ति, रोगों से छुटकारा और करियर में तरक्की। ज्योतिष शास्त्र में भी प्रदोष व्रत के दिन उपाय करना बहुत शुभ माना जाता क्योंकि इस दिन किये गए उपाय बहुत सिद्धकर साबित हो सकते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं जून के दूसरे और आषाढ़ माह के पहले प्रदोष व्रत के दिन कौन से उपाय करें और क्या हैं उनसे मिलने वाले लाभ।

जून 2025 के दूसरे प्रदोष व्रत के उपाय

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने का यह सबसे सरल और प्रभावी उपाय है। प्रदोष काल में, शिवलिंग पर ताजे बेलपत्र चढ़ाएं। बेलपत्र पर 'ॐ नमः शिवाय' लिखकर चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, शुद्ध गंगाजल या साधारण जल अर्पित करें। यदि संभव हो तो थोड़ा कच्चा दूध भी अर्पित करें। यह उपाय मन की शांति प्रदान करता है, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होता है।

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प्रदोष काल में भगवान शिव के सामने दीपक जलाकर आसन बिछाकर बैठें और कम से कम 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। मंत्र है: 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥' यह मंत्र रोगों से मुक्ति, लंबी आयु, भय से छुटकारा और आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। गुरु प्रदोष होने के कारण यह उपाय विशेष रूप से प्रभावी होगा।

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प्रदोष व्रत के दिन, विशेषकर प्रदोष काल में किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। सोम प्रदोष होने के कारण सफेद रंग की वस्तुएं दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि सोमवार का संबंध चंद्रमा से माना गया है और इस उपाय को करने से न सिर्फ कुंडली में चंद्रमा मजबूत होते हैं, बल्कि मानसिक शांति मिलती है।

अगर आपके घर के आस-पास शमी का पेड़ है तो प्रदोष व्रत के दिन शाम को शमी वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शमी वृक्ष को भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है और इसकी पूजा से शनि दोषों से मुक्ति मिलती है तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यह उपाय उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी है जिन्हें शनि की साढ़े साती या ढैया चल रही है।

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प्रदोष व्रत के दिन शाम को घर के मंदिर में या शिव मंदिर में शिव चालीसा का पाठ करें या रुद्राष्टक का पाठ करें। रुद्राष्टक भगवान शिव की स्तुति है और इसका पाठ करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं। यह उपाय मन को शांत करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और जीवन की परेशानियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही क्यों होती है?

    प्रदोष काल में प्रदोष व्रत की पूजा सबसे ज्यादा शुभ इसलिए मानी जाती है क्योंकि इस समय में भगवान शिव हसोन्मुख मुद्रा में रहते हैं और जल्दी प्रसन्न होकर कृपा बरसाते हैं।