8 जुलाई 2025 को पड़ने वाला भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव और मंगल देव दोनों को समर्पित है। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसका नाम भौम प्रदोष व्रत पड़ा। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है खासकर अगर कोई कर्ज की समस्या या मंगल ग्रह से संबंधित दोष से पीड़ित हो तो वह भी दूर हो जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। यह व्रत अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि जुलाई भौम प्रदोष व्रत के दिन किस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, क्या है पूजन सामग्री और मंत्र।
जुलाई भौम प्रदोष व्रत 2025 सामग्री
जुलाई में पड़ने वाले 8 जुलाई को भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सामग्री के तौर पर भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग, गाय का दूध, दही, घी, शहद और चीनी आदि शामिल करें।
इसके अलावा, अभिषेक के लिए शुद्ध जल या गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, शमी पत्र, सफेद चंदन, रोली, अक्षत और कपूर, घी का दीपक और अगरबत्ती या धूप, फल और मिठाई आदि शामिल करें।
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जुलाई भौम प्रदोष व्रत 2025 पूजा विधि
भौम प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा से पहले, हाथ में थोड़ा जल लेकर व्रत का संकल्प लें। मन ही मन कहें कि आप भगवान शिव की कृपा पाने के लिए यह व्रत रख रहे हैं और इसे पूरी श्रद्धा और निष्ठा से पूरा करेंगे। अगर संभव हो तो पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें; आप फलाहार कर सकते हैं।
पूजा शुरू करने से पहले सभी जरूरी सामग्री एक जगह जमा कर लें। प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही करनी चाहिए। प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक रहता है। 8 जुलाई 2025 को सूर्यास्त के समय के अनुसार आप अपने क्षेत्र में प्रदोष काल का पता लगा सकते हैं।
पूजा स्थल को साफ करके एक चौकी पर भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें। सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद गाय के दूध से अभिषेक करें। फिर दही, घी, शहद और चीनी से एक-एक करके अभिषेक करें। आप चाहें तो इन सभी चीजों को मिलाकर पंचामृत बनाकर भी अभिषेक कर सकते हैं।
अभिषेक करते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का लगातार जाप करते रहें। अभिषेक पूरा होने के बाद शिवलिंग को फिर से शुद्ध जल से धो लें और साफ कपड़े से पोंछ लें। शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं। फिर रोली और चावल चढ़ाएं। बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और अन्य मौसमी फूल अर्पित करें। बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रखें कि उसकी चिकनी सतह शिवलिंग को छुए।
शमी पत्र भी चढ़ाएं, इसे बहुत शुभ माना जाता है। भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं। धूप जलाएं और दीपक प्रज्वलित करें। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। आप शिव चालीसा या शिव कवच का पाठ भी कर सकते हैं। मंत्र जाप के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
आरती करते समय परिवार के सभी सदस्य साथ में शामिल हो सकते हैं। पूजा और आरती के बाद भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। अंत में भगवान शिव को अर्पित किया गया प्रसाद सभी में बांट दें और स्वयं भी ग्रहण करें। व्रत का पारण अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद करें। इस विधि से भौम प्रदोष व्रत की पूजा करने से भगवान शिव और मंगल देव की कृपा प्राप्त होती है।
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जुलाई भौम प्रदोष व्रत 2025 मंत्र
'ॐ नमः शिवाय' भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध और मूल मंत्र है। इसे 'पंचाक्षर मंत्र' भी कहते हैं जिसका अर्थ है पांच अक्षरों वाला मंत्र है। इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
माना जाता है कि 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। सच्चे मन से इस मंत्र का जाप करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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