सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत को सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन सभी माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और भगवान जीमूतवाहन की पूजा-अर्चना विधिवत रूप से करती हैं। आपको बता दें, जितिया व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल 14 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत रखने की मान्यता है।
अब ऐसे में जीतिया व्रत का पारण किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। साथ ही व्रत पारण का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
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जीवित्पुत्रिका व्रत के पारण के साथ ही व्रत का पूरा चक्र पूरा होता है। व्रत के दौरान किए गए सभी उपवास, पूजा और मंत्र जाप का फल मिलता है। मां द्वारा रखा गया यह व्रत माँ और पुत्र के बीच के अटूट बंधन को दर्शाता है। पारण के समय मां अपने पुत्र को आशीर्वाद देती है और पुत्र अपनी मां का आशीर्वाद ग्रहण करता है।
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पारण के बाद मां को पुत्र का दीर्घायु, स्वस्थ जीवन और उज्ज्वल भविष्य प्राप्त होता है। पारण के समय देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और व्रत करने वाली महिला को आशीर्वाद देते हैं। यह व्रत मां और संतान के अटूट प्रेम को दर्शाता है। जो बेहद ही अनमोल मानी जाती है। यह व्रत सुख-संपत्ति और सौभाग्य का प्रतिक भी माना जाता है।
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Image Credit- HerZindagi
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