सनातन धर्म में कलावा को रक्षासूत्र कहा जाता है। यह पूजा-पाठ में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं भगवान की पूजा-अर्चना करने के दौरान कलावा जरूर चढ़ाना चाहिए। यह पवित्रता और सौभाग्य का प्रतीक माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि कलावा सकारात्मक ऊर्जा का कारक माना जाता है। इतना ही नहीं, रक्षासूत्र भक्त की सुरक्षा और भगवान के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति कलावा पहनता है। उस पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ता है। अब ऐसे में सवाल है कि क्या भगवान को चढ़ाया हुआ कलावा खुद पहन सकते हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
भगवान को चढ़ाया कलावा कब बांध सकते हैं?
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ में भगवान को कलावा चढ़ाना एक महत्वपूर्ण विधि है। ऐसी मान्यता है कि पूजा की सामग्री में कलावा सबसे जरूरी माना जाता है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप पूजा कर रहे हैं या फिर हवन कर रहे हैं तो कलावा जरूर चढ़ाना चाहिए। भगवान को कलावा जब चढ़ा लें तो उसके बाद ही उसी कलावा को पंडित जी द्वारा अपने हाथ में बंधवाना चाहिए। कलावा पहनने के दौरान मंत्रों का जाप करना जरूरी माना जाता है। इसलिए अगर आप अपनी कलाई में कलावा बांध रहे हैं तो पंडित जी से पूजा करने के बाद बंधवा सकते हैं। इससे जीवन में शुभता और सकारात्मक का आगमन होगा और जीवन में खुशियों का आगमन होगा।
कलावा बंधवाने के कितने दिन बाद खोलना चाहिए?
कलावा बांधने के बाद उसे 21 दिनों तक पहनना सबसे शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि 21 दिनों तक कलावा पहनने से यह सकारात्मक ऊर्जाओं से भरा रहता है और यह हमारी रक्षा करता है। वहीं 21 दिनों के बाद इस कलावे को खोल देना चाहिए। क्योंकि इसमें नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ने लग जाता है।
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कलावा उतारकर कहां रखना चाहिए?
कई बार ऐसा होता है कि कलावा उतारने के बाद उसे यहां-वहां फेंक देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। कलावा उतारने के बाद उसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए या किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए।
कलावा किस दिन पहनने शुभ माना जाता है?
अगर आप कलावा पहन रहे हैं तो मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। यह दिन नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए सबसे प्रभावशाली दिन माना जाता है। इसलिए आप इस दिन कलावा पहनें।
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Image Credit- HerZindagi
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