
नवरात्रि महोत्सव आते ही हर किसी का उत्साह डांडिया और गरबा खेलने के लिए देखा जाता है। इस त्यौहार में लोग एक साथ इकट्ठा होकर डांडिया और गरबा खेलते हैं। नवरात्रि उत्सव पर डांडिया और गरबा का आयोजन हर जगह करवाया जाता है।
गुजरात और महाराष्ट्र में इसका खास महत्व है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर नवरात्रि में डांडिया या गरबा क्यों खेला जाता है? यह किसी और पर्व में क्यों नहीं खेला जाता।
नवरात्रि में ही इसे खेलने की शुरुआत क्यों हुई, आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई? आज के इस आर्टिकल में हम आपको इसकी जानकारी विस्तार से देंगे।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से इन सभी के बारे में जानते हैं।

गरबा और डांडिया इन दो खेलों का इतिहास गुजरात से जुड़ा हुआ है। यहां से ही इसकी उत्पती हुई थी। ये नृत्य केवल नवरात्रि के दौरान ही किए जाते हैं। क्योंकि ये नृत्य देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच नौ दिवसीय युद्ध का दर्शाने और विजय का प्रतीक माना जाता है, इसमें देवी दुर्गा विजयी हुई थी।
इसे भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि में क्या है मां दुर्गा के शस्त्रों का महत्व

परंपरागत रूप से, गरबा एक मिट्टी का बर्तन होता है, जिसके अंदर एक दीपक होता है, जिसे गुजरात में 'गरबी' कहा जाता है। गरबा नृत्य इन मिट्टी के बर्तनों के आसपास किया जाता है, जिन्हें 'गर्भ दीप' कहा जाता है।
इस खेल का मतलब होता है कि पुरुष और महिलाएं देवी दुर्गा और राक्षस-राजा महिषासुर की तरह लड़ाई कर रहे हैं। गरबा पोशाक में 3 भाग होते हैं।
महिलाएं चोली या ब्लाउज, चन्या या लंबी स्कर्ट और चमकदार दुपट्टा पहनती हैं और पुरुष कडू के साथ पगड़ी पहनते हैं। इसे करने का एक तरीका होता है, जिसमें ताल से ताल मिलाने के लिए महिलाएं और पुरुषों का दो या फिर चार का समूह बनाकर नृत्य करते हैं। (मंदिर की सीढ़ियों को स्पर्श क्यों करते हैं)
इसे भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2023: कब से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि? जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
इसमें पुरुष और महिलाएं दोनों रंगीन और सजावटी बांस की छड़ियों के साथ ढोलक और तबला जैसे वाद्ययंत्रों पर नृत्य करते हैं। इसे देवी-देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध को प्रस्तुत करने का एक सुंदर तरीका माना जाता है।
डांडिया के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले रंग-बिरंगे शेड्स देवी दुर्गा की तलवार का प्रतिनिधित्व करते हैं। (मां दुर्गा मंत्र)
माना जाता है कि वर्षों पहले गुजरात में लोग महिषासुर राक्षस के आतंक से काफी ज्यादा परेशान थे, तब लोगों की परेशानी देखकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने माता से मदद की गुहार लगाई।
देवताओं के प्रकोप से तब देवी जगदंबा प्रकट हुईं और उन्होंने राक्षस का वध किया। जिसके बाद से हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा और लोग जश्न के रूप में नौ दिनों का उपवास करते हैं और माता को प्रसन्न करने के लिए गरबा डांडिया खेलते हैं।
अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।
साथ ही आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।
Image Credit- Insta
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।