Durga Chalisa In Hindi: गुप्त नवरात्रि का आरंभ 10 फरवरी से हुआ था और 18 फरवरी को इसका समापन होगा। यूं तो माघ माह की गुप्त नवरात्रि तांत्रिकों के लिए होती है और गृहस्थ लोगों के लिए गुप्त नवरात्रि की पूजा वर्जित मानी गई है लेकिन इस नवरात्रि में आप दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि गुप्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करने के कई लाभ मिलते हैं। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
दुर्गा चालीसा का पाठ
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे ॥
तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥(मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखने के नियम)
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
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शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं ॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत ॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो ॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें ॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै ॥
देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे, भक्त रहे नि:शंक । मैं आया तेरी शरण में, मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥
दुर्गा चालीसा पाठ के लाभ
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भय, दुख और संताप का नाश होता है। इसका पाठ करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। मन की घबराहट दूर होती है। साथ ही, शत्रुओं के षड्यंत्रों से रक्षा होती है।
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से हर कार्य में सफलता मितली है। किसी भी शुभ काम से पहले दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाए तो वह अवश्य पूरा होता है। इसके पाठ से आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही,बुरी शक्तियां हावी नहीं हो पाती हैं।
दुर्गा चालीसा के पाठ के दौरान अगर एक-एक जौ का दाना मां को अर्पित करते हुए पाठ किया जाए तो इससे घर की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही, हर परिस्थिति से लड़ने की क्षमता आती है।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की चालीसा पढ़ने का क्या महत्व है एवं इसे पढ़ने से कौन से लाभ मिलते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
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