क्या केतु की भी होती है महादशा? जानें कितने साल तक रहती है और कैसा पड़ता है इसका असर

केतु की भी महादशा होती है और राहु की महादशा से कई अधिक घातक भी मानी जाती है। ऐसे में आइये जानते हैं केतु की महादशा कितने समय के लिए होती है और कैसा पड़ता है इसका जीवन पर प्रभाव।  
effects of ketu mahadasha

केतु को एक 'छाया ग्रह' माना जाता है, यानी इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है, लेकिन ज्योतिष में इसे बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। राहु की भांति ही केतु भी एक पाप ग्रह है जिसके शुभ-अशुभ प्रभाव जीवन में देखने को मिलते हैं। केतु ग्रह से जुड़ी कई रोचक बातें बताते हुए हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमसे यह जानकारी साझा की कि केतु की भी महादशा होती है और राहु की महादशा से कई अधिक घातक भी मानी जाती है। ऐसे में आइये जानते हैं केतु की महादशा कितने समय के लिए होती है और कैसा पड़ता है इसका जीवन पर प्रभाव।

केतु की महादशा कितने साल तक रहती है?

ketu ki mahadasha ke prabhav kya hai

केतु की महादशा कुल 7 साल तक रहती है। यह सभी ग्रहों की महादशाओं में सबसे छोटी महादशा है। भले ही इसकी अवधि कम होती है, लेकिन इसके प्रभाव अक्सर बहुत तीव्र और गहरे होते हैं।

केतु की महादशा कुंडली में कब बनती है?

केतु की महादशा कुंडली में तब बनती है जब किसी जातक की जन्म कुंडली में केतु की स्थिति और अन्य ग्रहों के साथ उसका संबंध शुभ होता है। यदि केतु कुंडली में तीसरे, पांचवें, छठे, सातवें या बारहवें भाव में हो, तो व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं।

केतु का बुध, शुक्र और शनि के साथ उच्च स्थान पर युति होने पर भी शुभ फल मिलते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु की महादशा व्यक्ति को आध्यात्मिकता, त्याग और आत्मबोध की ओर ले जाती है।

केतु की महादशा का शुभ असर

केतु के प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में उसकी स्थिति पर बहुत निर्भर करते हैं। महादशा के दौरान अगर केतु शुभ हो तो आध्यात्मिकता, वैराग्य और मोक्ष का कारक बनता है। शुभ स्थिति में केतु की महादशा व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर ले जा सकती है।

व्यक्ति का धर्म, ध्यान, योग और रहस्यमय ज्ञान में रुझान बढ़ता है। वह जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने की कोशिश करता है। इस दौरान व्यक्ति को आत्म-ज्ञान प्राप्त होता है और उसकी अंतर्ज्ञान शक्ति बढ़ती है। वह चीजों को गहराई से समझ पाता है।

व्यक्ति का मोह माया और भौतिक सुखों से कुछ हद तक मन हटने लगता है। वह सादगी भरा जीवन पसंद कर सकता है। कुछ मामलों में, शुभ केतु की महादशा में व्यक्ति को अचानक धन लाभ, संपत्ति लाभ या किसी सीक्रेट इनकम सोर्स से फायदा हो सकता है।

यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए होता है जो शोध या गुप्त ज्ञान से जुड़े होते हैं। व्यक्ति को अचानक विदेश यात्राएं करनी पड़ सकती हैं या जीवन में बड़े बदलाव आ सकते हैं जो अंततः उसके लिए अच्छे साबित होते हैं।

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केतु की महादशा का अशुभ असर

ketu ki mahadasha ke prabhav kya hain

यदि केतु कुंडली में पीड़ित हो, अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो या नीच राशि में हो, तो इसकी महादशा के दौरान व्यक्ति को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह सबसे प्रमुख प्रभावों में से एक है। व्यक्ति को मानसिक तनाव, चिंता, अनिद्रा, डिप्रेशन और बेचैनी का अनुभव हो सकता है।

मन में भ्रम और अनिश्चितता बनी रहती है। व्यक्ति को बिना किसी कारण के भय महसूस हो सकता है। उसे असुरक्षा की भावना घेर सकती है। बुरे सपने आ सकते हैं। केतु की महादशा में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं।

इसमें त्वचा संबंधी रोग, पैरों में दर्द, चोट लगना, हड्डी या जोड़ों से जुड़ी समस्याएं, पेट के रोग या ऐसी बीमारियाँ हो सकती हैं जिनका पता लगाना मुश्किल हो। पारिवारिक संबंधों में तनाव, गलतफहमी और अलगाव की स्थिति बन सकती है। व्यक्ति को अकेलापन महसूस हो सकता है।

नौकरी या व्यवसाय में अचानक बाधाएं आ सकती हैं, करियर में स्थिरता नहीं रहती, या आर्थिक नुकसान हो सकता है। व्यक्ति को अपने प्रयासों का उचित परिणाम नहीं मिलता। क्ति गुप्त शत्रुओं या किसी के द्वारा किए गए षड्यंत्र का शिकार हो सकता है।

व्यक्ति को अक्सर अपने आसपास के लोगों और दुनिया से एक तरह का अलगाव या मोहभंग महसूस हो सकता है। वह खुद को कटा हुआ महसूस कर सकता है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • केतु को शांत करने का उपाय क्या है?

    केतु को शांत करने के लिए 'ॐ कें केतवे नमः' मंत्र का जाप करें।