काल सर्प दोष और पितृ दोष, दो ऐसे कुंडली में उत्पन्न होने वाले दोष हैं जिनके परिणाम बहुत घातक होते हैं। इन दोनों में से किसी एक दोष का भी कुंडली में होना व्यक्ति के जीवन को नकारात्मकता से भर देता है और उसे भयंकर अशुभ परिणामों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण से ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों दोषों से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं।
साथ ही, यह भी बोला गया है कि इन दोषों का निवारण तुरंत कर लेना चाहिए। हालांकि, वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि काल सर्प दोष और पितृ दोष के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं, ऐसे में लोग अक्सर उलझन में और सही दोष के बारे में न पता होने के कारण गलत उपाय कर बैठते हैं जिससे उन्हें लाभ होने के बजाय हानि होने लगती है। इसलिए आज इस लेख में हम आपको काल सर्प दोष और पितु दोष के बीच का अंतर बता रहे हैं।
काल सर्प दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह, राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में संघर्ष, बाधाएं और देरी का सामना करना पड़ सकता है। यह दोष व्यक्ति के वर्तमान जीवन से जुड़ा होता है।
इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं जैसे कि करियर में स्थिरता की कमी, विवाह में विलंब, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, और अनावश्यक तनाव। यह एक प्रकार का ग्रह दोष है जिसका निवारण ज्योतिषीय उपायों और पूजा-पाठ से किया जाता है। इसका संबंध व्यक्ति के कर्म और ग्रहों की स्थिति से होता है।
यह भी पढ़ें: घर में पितृ दोष की वजह से हो रही हैं अनहोनी घटनाएं? गुरु पूर्णिमा के दिन आजमाएं ये 7 उपाय
पितृ दोष एक अलग अवधारणा है। यह तब बनता है जब किसी व्यक्ति के पूर्वज यानी पितर किसी कारण से अतृप्त या असंतुष्ट होते हैं। यह दोष पूर्वजों के कर्मों या उनके प्रति व्यक्ति के कर्तव्यों की पूर्ति न होने के कारण होता है।
यह दोष अक्सर वंशानुगत होता है और इसके कारण परिवार में पीढ़ी-दर-पीढ़ी समस्याएं बनी रह सकती हैं जैसे कि संतानहीनता, परिवार में कलह, धन की हानि और अचानक होने वाली दुर्घटनाएं। पितृ दोष का निवारण पितरों का श्राद्ध, तर्पण और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों से किया जाता है। इसका संबंध व्यक्ति के वर्तमान जीवन से अधिक उसके वंश और पूर्वजों से होता है।
यह भी पढ़ें: काल सर्प दोष दूर करने के 20 सरल और रामबाण उपाय जानें
काल सर्प दोष और पितृ दोष में सबसे बड़ा अंतर यह है कि काल सर्प दोष व्यक्ति के वर्तमान जीवन के ग्रह दोष से संबंधित है जबकि पितृ दोष पूर्वजों के कर्मों और वंश से संबंधित है। लोग अक्सर यह गलती करते हैं कि वे दोनों को एक ही मान लेते हैं या एक के उपाय दूसरे पर लागू करते हैं।
काल सर्प दोष के लिए राहु-केतु की पूजा और ग्रह शांति की सलाह दी जाती है जबकि पितृ दोष के लिए पितरों का श्राद्ध और तर्पण जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। इन दोनों के निवारण के तरीके बिल्कुल अलग हैं। इसलिए, किसी भी उपाय को करने से पहले किसी जानकार ज्योतिषी से सही सलाह लेना बहुत जरूरी है।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।