Devshayani Ekadashi Vrat Katha 2025: देवशयनी एकादशी का रख रही हैं व्रत तो जानें इस तिथि की महिमा, यहां पढ़ें संपूर्ण कथा

देवशयनी एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है, दुख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साल 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। 
devshayani ekadashi 2025 vrat katha

देवशयनी एकादशी सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है क्योंकि इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा में चले जाते हैं। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है और इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे सभी शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। देवशयनी एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है, दुख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साल 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। ऐसे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से देवशयनी एकादशी की व्रत कथा।

देवशयनी एकादशी 2025 व्रत कथा

एक बार सूर्यवंशी राजा मांधाता थे, जो बहुत ही धार्मिक और न्यायप्रिय शासक थे। उनकी प्रजा सुख-शांति से रहती थी। एक बार उनके राज्य में लगातार तीन वर्षों तक वर्षा नहीं हुई, जिसके कारण भयंकर अकाल पड़ गया। फसलें सूख गईं, धरती बंजर हो गई और राज्य में अन्न-जल की कमी के कारण हाहाकार मच गया। प्रजा दुखी होकर राजा के पास अपनी समस्या लेकर आई।

devshayani ekadashi ki katha 2025

राजा मांधाता अपनी प्रजा के दुख से बहुत व्यथित हुए। उन्होंने सोचा कि उन्होंने ऐसा कौन सा पाप किया है जिसके कारण उनके राज्य में यह संकट आया है। इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए वे ऋषि-मुनियों के आश्रमों में भटकने लगे। अंत में वे अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंचे।

यह भी पढ़ें:Devshayani Ekadashi Kab Hai 2025: देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बन रहे हैं ये 2 शुभ मुहूर्त, जानें तिथि और महत्व

राजा ने अंगिरा ऋषि को अपनी सारी व्यथा सुनाई और अकाल का कारण पूछा। अंगिरा ऋषि ने ध्यान लगाकर देखा और राजा को बताया कि हे राजन! आपके राज्य में अकाल का कारण यह है कि आपने अपने पूर्व जन्म में एक ब्राह्मण की गाय चुराई थी, उसी पाप के कारण यह अकाल पड़ा है।

अंगिरा ऋषि ने राजा को इस पाप से मुक्ति पाने और अकाल को दूर करने का उपाय बताया। उन्होंने कहा कि आप आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करें। इस एकादशी को देवशयनी एकादशी या पद्मा एकादशी कहते हैं। इस व्रत के प्रभाव से आपके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और आपके राज्य में फिर से वर्षा होगी।

यह भी पढ़ें:देवशयनी एकादशी के दिन चौमुखी दीपक ही क्यों जलाते हैं?

राजा मांधाता ने अंगिरा ऋषि के कहे अनुसार अपनी पूरी प्रजा के साथ देवशयनी एकादशी का व्रत विधि-विधान से रखा। उन्होंने भगवान विष्णु की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की। व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और जल्द ही उनके राज्य में मूसलाधार वर्षा हुई। धरती हरी-भरी हो गई और राज्य में फिर से सुख-समृद्धि लौट आई। तब से यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला और मनोकामनाएं पूरी करने वाला माना जाता है।

devshayani ekadashi ki vrat katha 2025

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image credit: herzindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP

FAQ

  • देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को क्या भोग लगाएं? 

    देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को खीर या मालपुए का भोग लगाएं।