पूजा में क्या है तांबे के बर्तनों का महत्व, जानें एक्सपर्ट से

अक्सर आप सभी ने देखा होगा की पूजा अनुष्ठान में तांबे के बर्तनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि तांबे के बर्तनों का इतना महत्व क्यों है? यदि नहीं तो चलिए जानें एक्सपर्ट से।

importance of copper utensils in hindi

अगर आपने ध्यान से देखा हो तो सनातन धर्म में हर प्रकार की पूजा में तांबे के बर्तन जैसे थाली, कटोरी, प्लेट, कलश, लोटा और आचमनी का उपयोग किया जाता है। हिंदू में होने वाले में पूजन में तांबे के बर्तनों का विशेष महत्व बताया गया है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग क्यों किया जाता है? यदि नहीं तो आइए जानते हैं दिल्ली के न्यूमेरोलॉजिस्ट और न्यूमेरोवाणी के फाउंडर सिद्धार्थ एस. कुमार से कि आखिर पूजा में तांबे के बर्तनों का इतना महत्व क्यों है।

तांबे के बर्तन का शास्त्रीय महत्व

uses of copper utensils in worship

शास्त्र अनुसार तांबे के बर्तन को पूरी तरह शुद्ध माना जाता हैं। क्यूंकि तांबे के बर्तन बनाने में किसी दूसरे धातु का इस्तेमाल नहीं होता है। तांबे के बर्तन का महत्व के बारे में वाराह पुराण में श्लोक लिखा गया है।

श्लोक:

तत्ताम्रभाजने मह्म दीयते यत्सुपुष्कलम्। अतुला तेन मे प्रीतिर्भूमे जानीहि सुव्रते।

माँगल्यम् च पवित्रं च ताम्रनतेन् प्रियं मम। एवं ताम्रं समुतपन्नमिति मे रोचते हि तत्। दीक्षितैर्वै पद्यार्ध्यादौ च दीयते।

पंक्ति का अर्थ हैं तांबा सर्व मंगल स्वरूप,पवित्र एवं साक्षात भगवान को सबसे ज्यादा प्रिय है।

तांबा करता हैं नकरात्मक ऊर्जा को दूर

शास्त्रों के अनुसार तांबे के बर्तन उपयोग करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, क्यूंकि तांबे को सूर्य की धातु कहा जाता हैं। भगवान सूर्य नारायण पूरी प्रकृति में ऊर्जा के वाहक हैं और तांब्र के बर्तन उन्हें प्रिय है इसलिए इसके इस्तेमाल से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

इसे भी पढ़ें : तांबे के लोटे से पैसों की तंगी हो सकती है दूर, करें ये ज्योतिष उपाय

तांबे से जुड़ी हुई कथा

copper utensils in worship

वराह पुराण के अनुसार गुडाकेश नामक एक राक्षस था। लेकिन वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। वह भगवान को खुश करने के लिए बहुत तपस्या करता था। एक बार भगावन विष्णु गुडाकेश राक्षस की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने को कहा। राक्षस गुडाकेश ने वरदान में कहा कि हे प्रभु, मेरी मृत्यु आपके सुदर्शन चक्र से होऔर मृत्यु के बाद मेरा पूरा शरीर तांबे का बन जाए, जो कि संसार की पवित्र धातु हो। फिर उस धातु से कुछ तांबे के पात्र बनाए जाएं जो हमेशा आपकी पूजा में उपयोग किए जाएं। जो भी मनुष्य इन पात्रों का उपयोग करें, उन पर आपकी कृपा बनी रहे। भगवान विष्णु ने राक्षस गुडाकेश से वरदान स्वीकार कर, सुदर्शन चक्र से राक्षस के शरीर को टुकड़े कर दिए। गुडाकेश के मांस से तांबा, उसके रक्त से सोना, उसके हड्डियों से चांदी आदि पवित्र धातु बनाए गए। ये रही तांबे की उत्तपत्ति की कथा और यही कारण है कि तांबे के बर्तनों का उपयोग भगवान की पूजा हमेशा किया जाता है।

तांबे से जुड़ी वैज्ञानिक मान्यता क्या है?

तांबे के स्वास्थ्य लाभों को वैज्ञानिक शोधों ने प्रमाणित किया है। तांबे में रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक खनिज होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने गए हैं। तांबे के बर्तनमें रखे पानी पीने से सेहत को कई तरह के फायदे मिलते हैं।

कहा इस्तेमाल न करें तांबे के बर्तन

importance of copper utensils in worship

वैसे तो तांबे को पूजा पाठ के कार्य के लिए बेहद शुभ माना गया हैं, लेकिन तांबे के बर्तन में कभी भी दूध नहीं रखना चाहिये। जैसे भगवान् शिव का रुद्राभिषेक तांबे के बर्तन में रखे दूध से नहीं होता है।

इसे भी पढ़ें : वास्‍तु के हिसाब से तांबे के बर्तनों का ऐसा होना चाहिए रख-रखाव

ये रही तांबे के बर्तन से जुड़ी कुछ खास जानकारी। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

Image Credit: Shutterstock and Her Zindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP