चातुर्मास हिंदू धर्म में एक विशेष अवधि है जो आषाढ़ शुक्ल की देवशयनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल की देवउठनी एकादशी तक चलती है। यह चार महीनों का समय भगवान विष्णु के शयनकाल के रूप में जाना जाता है, और इस दौरान माना जाता है कि सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। हालांकि, भगवान विष्णु के विश्राम के इस काल में भी उनके नाम जप का विशेष महत्व बताया गया है, जिससे भक्तों को कई अद्भुत लाभ प्राप्त हो सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन होते हैं, जिससे संसार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कम हो जाता है। अब ऐसे में अपने मन को शांत और सकारात्मक ऊर्जा से कैसे रखें। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि चातुर्मास में भगवान विष्णु का नाम जप कैसे करें?
चातुर्मास में भगवान विष्णु का नाम जप किस विधि से करें?
नाम जप के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें, जहां आपको कोई परेशान न कर सके। आप अपने घर के मंदिर या किसी शांत कोने का चुनाव कर सकते हैं।
नाम जप के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करें। सुबह ब्रह्म मुहूर्त या संध्या काल का समय उत्तम माना जाता है। नियमितता बहुत महत्वपूर्ण है।
जप करते समय कुशा का आसन, ऊनी आसन या सूती आसन का प्रयोग करें। इससे एकाग्रता बनी रहती है।
जप शुरू करने से पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें और संकल्प लें कि आप कितने समय तक या कितनी माला जप करेंगे।
नाम जप के लिए तुलसी की माला या चंदन की माला का प्रयोग करें। तुलसी की माला को भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय माना जाता है।
माला को अपने दाहिने हाथ में लें। तर्जनी उंगली का प्रयोग न करें, बल्कि अंगूठे और मध्यमा उंगली की सहायता से मनके को आगे बढ़ाएं। माला को नाभि से ऊपर और नाक के नीचे रखें। एक माला में 108 मनके होते हैं, और सुमेरु मनके को पार नहीं किया जाता है। सुमेरु तक पहुँचने पर माला को पलटकर फिर से जप शुरू करें।
जप समाप्त होने पर भगवान विष्णु को प्रणाम करें।
चातुर्मास में भगवान विष्णु का नाम जप के नियम
नाम जप करते समय कुश या ऊनी आसन पर बैठना चाहिए। इससे पृथ्वी की ऊर्जा शरीर में प्रवेश नहीं करती और जप का फल अधिक मिलता है।
भगवान विष्णु के नाम जप के लिए तुलसी की माला का प्रयोग करना अत्यंत शुभ माना जाता है। माला को अनामिका और मध्यमा अंगुली पर रखकर अंगूठे से फेरना चाहिए। माला जप करते समय भूमि को स्पर्श नहीं करनी चाहिए।
मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए। यदि आप किसी विशेष मंत्र का जप कर रहे हैं।
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चातुर्मास में भगवान विष्णु के नाम जप का महत्व
नियमित नाम जप से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। यह तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होता है। नाम जप से उत्पन्न ध्वनि तरंगें वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं, जिससे घर में सुख-शांति का वातावरण रहता है। भगवान विष्णु को धन और समृद्धि का दाता माना जाता है। उनके नाम का जप करने से आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और घर में खुशहाली आती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपके जीवन में कोई कष्ट है तो आप भगवान विष्णु के नाम जप से पुण्य कमा सकत हैं।
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