हिंदू धर्म में कई ऐसे मंत्र हैं जिनका जाप विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। मंत्रों के जाप से जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं और समृद्धि बनी रहती है। ऐसे ही मंत्रों में से एक है गायत्री मंत्र।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गायत्री मंत्र सबसे पुराने और सबसे शक्तिशाली वैदिक मंत्रों में से एक है। इस पवित्र मंत्र का उल्लेख उपनिषदों में एक अनुष्ठान के रूप में किया गया है और भागवत गीता में एक दिव्य कविता के रूप में भी किया गया है।
ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र सबसे पहले ऋग्वेद में लिखा गया था और इसे सबसे पहले संस्कृत में लिखा गया था। गायत्री मंत्र का जाप करने से न केवल जप करने वाला व्यक्ति बल्कि उस मंत्र को सुनने वाला व्यक्ति भी लाभान्वित होता है। वैसे तो गायत्री मंत्र का जाप सुबह के समय करना सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है, लेकिन क्या इसका जाप सूर्यास्त के बाद करना भी ठीक होता है? आइए इसके बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें।
ॐ भूर् भुवः स्वःतत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इस मंत्र का अर्थ है ' हम पृथ्वीलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में व्याप्त उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का ध्यान करते हैं। हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की तरफ चलने के लिए परमात्मा का तेज प्रेरित करें।
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गायत्री मंत्र, एक पूजनीय और प्राचीन वैदिक मंत्र है जिसका हिन्दू धर्म से गहरा नाता है। इसी वजह से यह हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस मंत्र का जाप आमतौर पर प्रातः काल यानी कि सूर्योदय के समय करने की सलाह दी जाती है और इस समय इसका जाप आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक माना जाता है।
यह मंत्र यदि सूर्योदय के समय पढ़ा जाता है तो इसके पूर्ण लाभ मिलते हैं, लेकिन यदि आप इसे सूर्यास्त के समय भी पढ़ते हैं तो भी यह लाभदायक होता है। हालांकि इसे सूर्योदय के समय पढ़ना ज्यादा फलदायी माना जाता है।
गायत्री मंत्र सूर्य देव को समर्पित होता है और इसे ज्ञान, बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक जागृति के दिव्य प्रकाश के लिए एक शक्तिशाली आह्वान माना जाता है। यदि हम शास्त्रों की मानें तो इसका पाठ ब्रह्म मुहूर्त के दौरान या सूर्योदय से पहले के शुभ समय में करना सबसे अच्छा माना जाता है। ऐसा माना जाता है उस समय मंत्र का जाप करने से शुद्ध और सात्विक ऊर्जा का पूर्ण उपयोग किया जा सकता है।
ऐसा माना जाता है कि सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र का जाप करने से साधक इस पवित्र समय के दौरान मौजूद ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं के साथ जुड़ जाता है। इस समय गायत्री मंत्र का जाप आध्यात्मिक जागृति को बढ़ावा देता है।
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सूर्य को प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है जो साधकों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त करने का केंद्र बिंदु बन जाता है। जब आप अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं उस समय गायत्री मंत्र का जाप आपके मन में एक अलग प्रेरणा जगाने में मदद करता है और एक अच्छी दिनचर्या के लिए प्रेरित करता है।
किसी भी मंत्र का जाप इस समय करना सबसे अच्छा माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि मन्त्रों की ऊर्जा सूर्योदय के समय जाप करने से कई गुना बढ़ जाती है और इसका जाप करने वाले पर पूरा असर डालती है।
ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र का जाप करने से आपको जीवन में सफलता और खुशियां प्राप्त होती हैं। गायत्री मंत्र के नियमित जाप से मन को दृढ़तापूर्वक स्थापित और स्थिर किया जा सकता है। यह मंत्र मानसिक और शारीरिक पालन-पोषण करने वाले सूर्य और परमात्मा दोनों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है।
इस मंत्र को माता गायत्री का मंत्र माना जाता है और देवी गायत्री को वेदों की माता भी कहा जाता है - ऋग, यजुर, साम और अथर्व चारों वेदों की जननी माता गायत्री को यह मंत्र समर्पित होता है। देवी गायत्री हमारे मन में प्रकाश प्रदान करके अंधकार को खत्म करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए यह मंत्र कई तरह से फलदायी माना जाता है और ईश्वर से जुड़ने का एक माध्यम होता हैं।
गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए सबसे अच्छा समय प्रातः काल का होता है और इसी समय जाप के पूर्ण फल मिलते हैं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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