देश के चार स्थानों में हनुमान जी के बालस्वरूप की प्रतिमा स्थापित है। जिसमें से एक स्वरूप पटना के मच्छरहट्टा गली में स्थापित है। श्री काले हनुमान जी के विग्रह की आभा और मुख मंडल से भक्तों को ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे वह स्वयं भक्तों का इंतजार कर रहे हों। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर 300 वर्ष प्रचीन है। जिसके पूजा आज तक विधिवत रूप से चलते आ रही है। इतना ही नहीं 300 साल पहले नुन्नू गुरुजी का एक मठ भी हुआ करता था। अब ऐसे में इस मंदिर की प्रचलित कथा क्या है। साथ ही इस मंदिर की मान्यता क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
ऐसी मान्यता है कि नुन्नू गुरुजी की माता जी को स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन दिया था। उन्होंने सपने में नुन्नू गुरुजी के माता को बताया था कि तुम मुझे ढूंढने इधर-उधर जाते हो पर मैं तो यहीं इसी जगह पर कुएं के अंदर बैठा हूं। मां ने जब नुन्नू गुरुजी को अपने स्वप्न की बात बताई तो कुएं का सारा पानी निकालकर उसकी खुदाई शुरू करा दी गई। वहीं खुदाई के दौरान फावड़ा लग जाने से हनुमान जी के विग्रह की पूंछ कट गई और इससे रक्त निकलने लगा। खून को बंद करने के लिए वैद्य भी बुलाए गए, लेकिन खून नहीं रुक रहा था। तब एक बार फिर से माता जी को स्वप्न में ही हल्दी और दूभ हनुमान जी को चढ़ाने को कहा है। ऐसा करने से खून रुक गया। तभी से इस विग्रह की पूजा होती चली आ रही है।
इस काले हनुमान मंदिर में पवनपुत्र की पूंछ आधी कटी हुई है। इसके साथ ही ये प्रार्थना मुद्रा में हाछ जोड़े हुए खड़े हैं। कहते हैं कि पूरे देश में सिर्फ तीन स्थानों पर ही इस तरह की अनोखी विग्रह वाली मंदिर स्थापित है। एक राजस्थान के सालासार में, दूसरी आडिशा के कटक में और तीसरी बिहार के पटना में स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि इस 300 वर्ष पुराने काले मंदिर से हनुमान जी को गर्मी में पसीना भी आता है। इसलिए यहां हनुमान जी के विग्रह के ठीक ऊपर 24 घंटे पंखा भी चलाया जाता है।
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पटना के काले हनुमान मंदिर की ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भक्त चार पुश्तों से हनुमान जी पूजा करते चले आ रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो व्यक्ति हनुमान जी की पूजा-अर्चना करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन मेंचल रही परेशानियां भी दूर हो जाती है।
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