Bijli Mahadev temple in kullu interesting story ()

क्या वाकई गिरती है यहां भगवान शिव पर बिजली, जानें महादेव के इस अनोखे मंदिर के बारे में

हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत कुल्लू घाटी में लगभग ढाई किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित बिजली महादेव मंदिर की पौराणिक कथा बेहद रोचक है। आइए इससे जुड़ी कथा के बारे में जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2024-07-15, 13:28 IST

हिंदू धर्म में कई ऐसे मंदिर हैं, जो बेहद रहस्यमयी हैं। इनसे संबंधित कई कथाएं भी प्रचलित हैं।  वहीं बात करें, हिमाचल प्रदेश की,  तो हिमाचल प्रदेश का कुल्लू न केवल एक सुंदर और रमणीय पर्यटक स्थल है, बल्कि एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इस खूबसूरत जगह पर एक ऐसा मंदिर है, जहां हर साल 12 साल बिजली गिरती है। इसलिए भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को बिजली महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। वहीं भगवान शिव का प्रिय महीना 22 जुलाई से आरंभ होने जा रहा है। जिसे सावन कहा जाता है। अब ऐसे में इस मंदिर की कथा क्या है। आइए इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं। 

अनोखी बिजली महादेव मंदिर की कहानी 

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अनोखा महादेव मंदिर हिमालय की घाटी काशवरी गांव में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां स्थित भगवान शिव पर हर 12 साल पर बिजली गिरती है। बिजली गिरने के बाद शिवलिंग कई टुकड़ों में बंट जाता है। जिसे मंदिर के पुजारी एक प्राचीन विधि से बने एक विशेष लेप से इन टुकड़ों को जोड़ते हैं। महादेव की कृपा से विशेष लेप बेहद आसरकारी साबित होता है और शिवलिंग फिर पहले की तरह हो जाता है। कहते हैं कि मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग हर 12 साल में रहस्यमय तरीके से बिजली के बोल्ट से टकराता है। यहां बिजली केवल शिवलिंग से टकराती हैं। इससे मंदिर या किसी भी जातक को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। जबकि बिजली गिरने से शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। इस रहस्य को अभी तक कोई समझ नहीं पाया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव यहां हर जातक को सभी तकलीफों से बचाते हैं। 

जानें इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा 

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पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में, मणिकर्ण घाटी घने जंगलों से घिरी हुई थी।  यहां ऋषि और मुनि तपस्या करते थे।  एक बार, ऋषि वशिष्ठ इस घाटी में तपस्या कर रहे थे।  उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए।  ऋषि वशिष्ठ ने भगवान शिव से अनुरोध किया कि वे इस घाटी में स्थायी रूप से निवास करें।

भगवान शिव ने ऋषि वशिष्ठ की प्रार्थना स्वीकार करते हुए एक विशाल शिवलिंग प्रकट किया।  लेकिन कुछ समय बाद, देवताओं और असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया।  युद्ध के दौरान, देवताओं को पराजय का सामना करना पड़ा।  वे भगवान शिव की शरण में आए।  भगवान शिव ने देवताओं को आशीर्वाद दिया और असुरों को परास्त करने में उनकी मदद की।

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युद्ध के दौरान, देवराज इंद्र ने अपनी वज्र भगवान शिव के शिवलिंग पर फेंकी।  वज्र के प्रहार से शिवलिंग 12 टुकड़ों में बिखर गया।  इस घटना से क्रोधित होकर, भगवान शिव ने देवराज इंद्र को शाप दिया।  शाप के अनुसार, इंद्र को अपनी शक्तियां और पद गंवाने पड़े।

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देवराज इंद्र ने भगवान शिव से क्षमा मांगी और अपनी गलती पर पश्चाताप व्यक्त किया।  भगवान शिव ने इंद्र को क्षमा कर दिया और उन्हें अपना वज्र वापस कर दिया।  इसके साथ ही, भगवान शिव ने शिवलिंग के टुकड़ों को एकजुट किया और मणिकर्ण घाटी में स्थापित किया। ऐसी मान्यता है कि हर 12 साल में भारी बारिश के साथ बिजली इस शिवलिंग पर गिरती है।  इस घटना को भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है।  इस दौरान, हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं।

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Image Credit- HerZindagi

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