sita ram maha yagya

10 हजार अनुष्ठानों के बराबर है सीताराम महायज्ञ, जानें घर में करने की सही विधि और लाभ

Sita Ram Maha Yagya Vidhi aur Labh: सीताराम महायज्ञ भगवान राम और माता सीता के नाम और स्वरूप की सामूहिक आराधना है जो घर में सुख-शांति, समृद्धि और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान करता है।
Editorial
Updated:- 2025-11-12, 14:20 IST

सनातन धर्म में यज्ञ और अनुष्ठानों को जीवन की शुद्धि, वातावरण की पवित्रता और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का सर्वोत्तम मार्ग माना गया है। सीताराम महायज्ञ इन्हीं अनुष्ठानों में से एक है जिसे अत्यंत महत्वपूर्ण और फलदायी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केवल एक बार इस महायज्ञ को करने का पुण्यफल दस हजार सामान्य अनुष्ठानों के बराबर होता है। यह यज्ञ भगवान राम और माता सीता के नाम और स्वरूप की सामूहिक आराधना है जो घर में सुख-शांति, समृद्धि और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान करता है। इसे श्रद्धा और सही विधि से करने पर भक्त को न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है बल्कि उसके भौतिक जीवन की बाधाएं भी दूर होती हैं। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि घर में सीताराम महायज्ञ करने की सही विधि और लाभ क्या हैं?

घर में सीताराम महायज्ञ करने का महत्व और लाभ

सीताराम महायज्ञ को इतना शक्तिशाली इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें स्वयं भगवान राम और माता सीता की एक साथ आराधना की जाती है। इस यज्ञ से पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध बनते हैं और घर में अखंड सौभाग्य और पारिवारिक शांति का वास होता है।

way of performing sita ram maha yagya at home

इस महायज्ञ में सम्मिलित होने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। माता सीता को धन और पृथ्वी की देवी माना जाता है, इसलिए यह यज्ञ घर में धन-धान्य और समृद्धि लाता है। भगवान राम की कृपा से सभी प्रकार के भय, रोग और शत्रु बाधाएं दूर होती हैं।

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घर में सीताराम महायज्ञ करने की सही विधि

घर में एक पवित्र और साफ-सुथरी जगह चुनें, जहां हवन कुंड या वेदी स्थापित की जा सके। राम-सीता की मूर्ति या चित्र, हवन सामग्री जैसे जौ, तिल, चावल, घी, शक्कर, चंदन, आम की लकड़ी, गंगाजल, पंचामृत, रोली, अक्षत, धूप, दीप, और प्रसाद की व्यवस्था करें।

यज्ञ शुरू करने से पहले, हाथ में जल लेकर यजमान अपनी इच्छा बोलते हुए संकल्प लेता है। सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान और पूजन करें ताकि अनुष्ठान निर्विघ्न संपन्न हो। वेदी की स्थापना करें और उसमें अग्नि प्रज्वलित करें।

significance of sita ram maha yagya at home

इसके बाद भगवान राम, माता सीता, हनुमान जी और अन्य देवी-देवताओं का विधिवत आह्वान करें। यज्ञ का मुख्य भाग 'श्री राम जय राम जय जय राम' या 'ॐ जानकी वल्लभाय नमः' जैसे राम मंत्रों का जाप करते हुए हवन कुंड में आहुतियां देना है।

पंडित जी द्वारा दिए गए मंत्रों का उच्चारण करते हुए श्रद्धापूर्वक घी और सामग्री अर्पित करें। निर्धारित संख्या में आहुतियां पूरी होने पर, सभी सामग्री और नारियल के साथ पूर्णाहुति दी जाती है।

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यज्ञ संपन्न होने पर भगवान राम और माता सीता की आरती की जाती है और किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना की जाती है। अंत में, सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है और पंडितों और गरीबों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।

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FAQ
हवन करते समय किस दिशा में बैठना चाहिए?
हवन करते समय, दक्षिण-पूर्व दिशा में मुख करके बैठना चाहिए क्योंकि यह अग्नि कोण कहलाता है और हवन के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।
हवन में क्या अर्पित करना चाहिए?
हवन में मुख्य रूप से जौ, तिल, चावल और घी जैसी हवन सामग्री अर्पित की जाती है। इसके अतिरिक्त, आप गुग्गुल, शक्कर, कपूर, लौंग, इलायची और पंचमेवा जैसी चीजें भी डाल सकते हैं।
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