आषाढ़ चतुर्दशी जिसे आषाढ़ी चौदस भी कहते हैं, हिंदू और जैन दोनों धर्मों में बहुत खास मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह दिन भगवान शिव और माता शक्ति के मिलन का प्रतीक है और यह भी माना जाता है कि इसी तिथि पर ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति हुई थी। इसे चौमासी चौदस के नाम से भी जानते हैं, जो चातुर्मास की शुरुआत के ठीक तीन दिन बाद आती है। वहीं, जैन धर्म में आषाढ़ चौमासी चौदस से ही चातुर्मास शुरू होता है, जिसे आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-शुद्धि का समय माना जाता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, आषाढ़ चतुर्दशी पितरों के लिए भी बहुत शुभ मानी जाती है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए यह तिथि बहुत उत्तम है। ऐसे में आइये जानते हैं कि आषाढ़ चतुर्दशी के दिन कैसे पितरों को प्रसन्न करें।
आषाढ़ चतुर्दशी 2025 पितरों को प्रसन्न करने के 5 तरीके
आषाढ़ चतुर्दशी की शाम को अपने घर के दक्षिण दिशा में एक दीपक जरूर जलाएं। यह दीपक तिल के तेल का होना चाहिए। दीपक जलाते समय अपने पितरों का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करें। यह उपाय पितरों को मार्ग दिखाने और उन्हें शांति प्रदान करने में मदद करता है।
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें। इसमें थोड़े से काले तिल और फूल डाल लें। अब इस जल को अपने पितरों का नाम लेते हुए या उनका स्मरण करते हुए किसी पवित्र नदी के किनारे या अपने घर के बाहर किसी पौधे के पास धीरे-धीरे अर्पित करें। जल अर्पित करते समय कहें, 'हे पितृ देवों, कृपया यह जल ग्रहण करें और हमें आशीर्वाद दें।' यह क्रिया पितरों को तृप्त करती है।
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आषाढ़ चतुर्दशी पर पीपल के पेड़ की पूजा करना पितरों को प्रसन्न करने का एक बहुत ही प्रभावी तरीका है। पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं और पितरों का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं, एक दीपक जलाएं और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। इससे पितरों को शांति मिलती है और आपके घर में सुख-समृद्धि आती है।
पितरों को प्रसन्न करने का एक और महत्वपूर्ण तरीका है ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराना। इस दिन आप अपने पितरों के नाम पर किसी ब्राह्मण को सात्विक भोजन करा सकते हैं या किसी गरीब व्यक्ति को भोजन दान कर सकते हैं। भोजन कराने से पहले पितरों का ध्यान करें। यह उपाय पितरों को तृप्त करता है और उनका आशीर्वाद दिलाता है जिससे घर में अन्न-धन की कमी नहीं होती।
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आषाढ़ चतुर्दशी के दिन पितृ सूक्त का पाठ करें। पितृ सूक्त वे वैदिक मंत्र होते हैं जो पितरों को समर्पित होते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए पढ़े जाते हैं। अगर आप संस्कृत का पाठ नहीं कर सकते, तो किसी योग्य ब्राह्मण से इसका पाठ करवा सकते हैं या फिर इंटरनेट पर उपलब्ध इसका हिंदी अर्थ पढ़कर भी आप अपने पितरों का स्मरण कर सकते हैं। यह पाठ पितरों को अत्यंत प्रिय होता है और उनकी प्रसन्नता का कारण बनता है।
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