क्यों मानी जाती है आषाढ़ चतुर्दशी विशेष? जानें इस साल कब पड़ रही है और क्या हैं इस दिन के उपाय

आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। हिंदू धर्म में इस दिन को भगवान शिव और माता शक्ति के मिलन का पावन समय माना जाता है। 
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आषाढ़ चतुर्दशी, जिसे आषाढ़ी चौदस भी कहते हैं, हिंदू और जैन दोनों धर्मों के लिए बहुत खास है। हिंदू धर्म में, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन को भगवान शिव और माता शक्ति के मिलन का त्योहार माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि इसी दिन ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। इसे चौमासी चौदस भी कहते हैं, और यह चातुर्मास शुरू होने के 3 दिन बाद आती है।

वहीं, जैन धर्म में आषाढ़ चौमासी चौदस से चातुर्मास की शुरुआत होती है। यह आध्यात्मिक साधना, तपस्या और आत्म-शुद्धि का समय माना जाता है। इस दिन जैन धर्म के लोग उपवास रखते हैं और पूजा-प्रार्थना करते हैं। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, इस दिन का ज्योतिष में भी बहुत महत्व है। आषाढ़ चतुर्दशी पर कुछ खास उपाय करने से नकारात्मकता दूर होती है और बुरी नजर से बचाव होता है।

आषाढ़ चतुर्दशी 2025 कब है?

आषाढ़ चतुर्दशी का आरंभ 9 जुलाई, बुधवार के दिन सुबह 6 बजकर 59 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 10 जुलाई, गुरुवार के दिन सुबह 5 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ चतुर्दशी या आषाढ़ चौमासी चौदस इस साल 9 जुलाई को पड़ रही है।

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इस दिन भगवान शिव की आराधना एवं ध्यान करना शुभ माना जाता है। ऐसे में भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय शाम 7 बजकर 22 मिनट से रात 8 बजकर 23 मिनट तक है जो संध्या मुहूर्त है। इस मुहूर्त में पूजा करने से शिव जी की असीम कृपा मिलती है।

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आषाढ़ चतुर्दशी 2025 के उपाय

आषाढ़ चतुर्दशी पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन आप सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और किसी शिव मंदिर जाएं। यदि मंदिर जाना संभव न हो तो घर पर ही शिवजी की तस्वीर या शिवलिंग के सामने पूजा करें। सबसे पहले शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें। बेलपत्र चढ़ाते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते रहें। इस उपाय से आपके जीवन के कष्ट कम होते हैं और आपको मानसिक शांति मिलती है। यह उपाय खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है जो किसी प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी परेशानी या मानसिक तनाव से गुजर रहे हों।

आषाढ़ चतुर्दशी पर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन आप अपनी क्षमतानुसार अनाज, वस्त्र या धन का दान कर सकते हैं। विशेष रूप से सफेद वस्तुओं जैसे दूध, चावल या चीनी का दान करना अधिक फलदायी होता है। आप किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन करा सकते हैं या उन्हें कपड़े दान कर सकते हैं। यह उपाय आपके ग्रहों को शांत करने में मदद करता है और भाग्य को मजबूत बनाता है। दान करने से न केवल आपके पुण्य कर्म बढ़ते हैं बल्कि आपके मन में संतोष और सकारात्मकता का भाव भी आता है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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आषाढ़ चतुर्दशी 2025 का महत्व

आषाढ़ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को समस्त ऐश्वर्य प्राप्त होता है यानी जीवन में धन, सुख और समृद्धि आती है। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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आषाढ़ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में मानसिक शांति भी मिलती है। जिन लोगों को राहु परेशान कर रहा है उन लोगों के लिए यह तिथि उत्तम है। इस दिन शिव जी की पूजा से राहु दोष या राहु का दुष्प्रभाव भी कम होता है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • आषाढ़ चतुर्दशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

    आषाढ़ चतुर्दशी के दिन विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।
  • आषाढ़ चतुर्दशी के दिन कितने दीपक जलाने चाहिए?

    आषाढ़ चतुर्दशी के दिन सरसों के तेल के 7 दीपक जलाने चाहिए।