सनातन धर्म में परिक्रमा लगाने की परंपरा बेहद महत्वपूर्ण है और ये सदियों से चली आ रही है। परिक्रमा को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यह भक्त को पापों से मुक्ति दिलाने और पुण्य अर्जित करने में लाभकारी माना जाता है।
परिक्रमा हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में लगाई जाती है। परिक्रमा के दौरान संबंधित देवता का मंत्र जाप अवश्य करनी चाहिए। इससे व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
परिक्रमा करने से व्यक्ति को सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है और कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति भी मजबूत होती है। अब ऐसे में हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए?
हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा विशेष रूप से तीन बार करने की मान्यता है। परिक्रमा करने से पूजा का फल अत्यंत शीघ्र मिलता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है। मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा और परिक्रमा करने का विशेष महत्व है। परिक्रमा करने के दौरान संकटमोचन हनुमान मंत्र का जाप जरूर करें। आप हनुमान चालीसा का भी पाठ कर सकते हैं।
हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा लगाने का महत्व क्या है?
हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि उनकी परिक्रमा लगाने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हनुमान जी को बल और साहस का देवता माना जाता है। उनकी परिक्रमा लगाने से व्यक्ति में शक्ति और साहस बढ़ता है।
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हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा लगाने के बाद क्या करना चाहिए?
हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा लगाने के बाद सबसे पहले प्रभु श्रीराम की स्तुति जरूर करें। इसके बाद सुंदरकांड का पाठ करें। पाठ करते समय घी का दीपक जरूर जलाएं। हनुमान जी के चरणों में 07 पीपल के पत्ते चढ़ाएं और हनुमान जी के मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सुख-सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।
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हनुमान जी की परिक्रमा लगाने के दौरान आप अपनी मनोकामनाएं मन में संकल्प लेकर बोलें और उसके बाद जब हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा कर लें। तब उन्हें नारंगी सिंदूर लगाएं और लंगोट चढ़ाएं। इससे उत्तम फलों की प्राप्ति होती है।
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Image Credit- HerZindagi
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