हर मौसम में घूमने के लिए जन्नत है मनाली हिल स्टेशन

मनाली में जब चिड़ियों की चहचहाहट कानों में पड़ी तो मानो मैं किसी जन्नत के सफ़र पर निकल पड़ी हूं। 

 

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मेरा नाम अन्नू कुमारी है और मैं एक पत्रकारिता की छात्रा हूं। खबरों की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाने के साथ-साथ किसी बेहतरीन जगह घूमने का भी शौक रखती हूं। काम के बीच में जब भी समय मिलता है किसी न किसी जगह घूमने के लिए ज़रूर निकल जाती हूं क्योंकि, घूमना-फिरना, नई जगहों को एक्सप्लोर करना, नए लोगों से मिलना और अलग-अलग विचारों से परिचित होना मुझे बेहद पसंद है।

पिछले कुछ सालों में मैं कई जगह घूमने गई और उन जगहों पर खुद को एक आजाद पंछी की तरह महसूस किया। खुल के जीवन को जीना, पहाड़ों के बीच खुद को ढूंढ़ना , दूर-दूर तक हरियाली, खूबसूरत नज़ारे आदि चीजें हर बार एक नई उमंग पैदा कर देती है। वैसे मैं काफी समय से घूम रही हूं और बहुत सी जगहों को एक्सप्लोर कर चुकी हूं, लेकिन हाल में ही मैं मनाली गई थी। मनाली की यात्रा मेरे लिए बेहतरीन रही क्योंकि, यह मेरे लिए एक नई जगह थी और पिछले कई सालों से इस जगह घूमने के बारे में सोच भी रही थी।

बीते अगस्त महीने में मनाली की यात्रा पर गई थी और सच मानिए उस दिन से लेकर आज तक उस जगह ने दिल में अपनी छाप बना रखी है। वैसे तो अगस्त के महीने में बहुत कम लोग ही मनाली घूमने के लिए जाते हैं लेकिन, जब मैं मनाली पहुंची तो ऐसा लगा ही नहीं कि ये अगस्त का महीना है। मनाली पहुंचने के बाद लगा कि यह जगह मेरे लिए पलकें बिछाए बैठी है। यहां आप मेरी तरह ट्रैकिंग, फिशिंग, कैंपिंग, वाइल्ड लाइफ वॉचिंग और भी बहुत कुछ कर सकती हैं। यहां पहुंचने के लिए आप दिल्ली के कश्मीरी गेट से मनाली के लिए डायरेक्ट बस ले सकती हैं।

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चारों तरह फैली हुई शांति, ऊंचे-उंचे पहाड़, नदियों का कलकल करता पानी, अद्भुत रूप में गिरते झरने का पानी, देवदार के पेड़ और चिड़ियों की चहचाहट जब कानों में पड़ी तो मानो मैं किसी जन्नत के सफ़र पर निकल पड़ी हूं। अक्सर लोग बोलते हैं कि मनाली सर्दी के मौसम में घूमने के लिए एक बेस्ट जगह है लेकिन, मुझे नहीं लगता कि सर्दी के मौसम में इन चिड़ियों की चहचाहट किसी को सुनने को मिलती होगी।

जब मैं पहाड़ों के बीच में मौजूद सोलांग वैली घूमने के लिए पहुंची तो मानो ऐसी जगह विश्व के किसी कोने में नहीं हो सकती। एकदम शांत और घने जंगलों के बीच घूमने का सफ़र कुछ ऐसा रहा। अपना अनुभव शायद, शब्दों में लिख पाना मेरे लिए बेहद मुश्किल भरा काम रहा। यहां पहुंचते ही दिल कर रहा था मानो यहीं घर बनाकर बस जाऊं।

सोलांग वैली की खूबसूरती से मैं हर एक कदम पर प्रभावित हो रही थी। जब सोलांग वैली घूमने के बाद वन विहार पहुंची तो ऐसा लगा जैसे कुदरत का करिश्मा मेरे सामने हैं और मैं इसे घर लेकर जा रही हूं। पहाड़ों में उमड़ते बादल, ऊंचे-ऊंचे ट्रैक्स, सफ़ेद चादर से ढके पहाड़ आदि सभी चीजें अपने आप मुझे अपनी ओर खींच रही थीं। यक़ीनन, ये जगह मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं थी।

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मनाली में मुझे एक और चीज बेहद प्यारी लगी और वो चीज थी, यहां की स्थानीय संस्कृति। पारंपरिक तरीके से रहने वाले और प्राचीन रीति-रिवाजों को मजबूत किए ये लोग किसी भी तरह से किसी अन्य जगह के नहीं लगे। यहां मौजूद हडिम्बा मंदिर पहुंची तो सदियों पुराने रीति-रिवाजों का पालन करते हुए देखकर ऐसा लगा जैसे इससे पहले यह नज़ारा टीवी पर ही देखा हो।

इसके अलावा मनाली में एक से एक बेहतरीन अन्य जगहों पर भी घूमने के लिए पहुंची और हर जगह मुझे इस कदर प्यारी लगी जैसे चिडियां पिजंरे में से उड़ गई हों। ओल्ड मानली ने तो जैसे मेरा दिल ही जीत लिया और मुझे अपना बना लिए। ओल्ड मनाली में भी मैं एक-दो दिन रुकी और कई बेहतरीन जगहों पर घूमने गई। यहां का स्थानीय भोजन टेस्ट करने के बाद कुछ समय के लिए घर के भोजन में बारे में भी मैं भूल जाना चाहती थी।

कुछ ऐसी जगह है मानली! जहां एक बार आकर आप वहीं के हो जाना चाहेंगे। मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही रहा और आज भी मैं साल में एक से दो बार किसी न किसी जगह घूमने के लिए चली जाती हूं। अगली बार घूमने के लिए मैं किसी अन्य जगह की तलाश भी कर ली है। तो कैसा लगा मेरा मनाली घूमने का अनुभव ? क्यों आपका मन भी मनाली की खूबसूरती में गोते लगाने लगा न ? तो देर किस बात की बैग्स पैक करके हो जाइए तैयार इस जगह का मज़ा उठाने के लिए।

लेखक- अन्नू कुमारी

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