मैंने अपने दामाद से इस तरह बनाई सास के साथ-साथ दोस्त वाली बॉन्डिंग

जिस तरह सास और बहु का रिश्ता खास होता है उसी तरह सास और दामाद का रिश्ता भी स्पेशल होता है। मैं अपने दामाद की सिर्फ सास नहीं हूँ बल्कि उसके साथ मैंने एक दोस्ती वाला प्यारा रिश्ता भी कायम किया है। 

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Saas Aur Damad Ka Rishta: हर रिश्ते की अपनी एक पहचान होती है और अपना एक औरा होता है। रिश्तों की डोर संभली रहे इसके लिए जरूरी है कि रिश्तों में प्यार, विश्वास, तालमेल के साथ-साथ थोड़ा सा मस्ती-मजाक भी हो। वहीं, शादी की बात आ टी है तो ज्यादातर दिमाग में यही आता है कि पति-पत्नी का रिश्ता या फिर सास-ससुर और बहु का रिश्ता लेकिन एक रिश्ता और भी है जिसके बारे में सोचना या बात करना बहुत आवश्यक है।

मैं जिस रिश्ते की बात कर रही हूं वह रिश्ता है सास और दामाद का रिश्ता। शुरुआत में जब मैंने मेरी बेटी कि शादी की थी तब मेरा दामाद बहुत फॉर्मल व्यवहार करता था। मई अक्सर यही सोचती थी कि मेरी बेटी जितनी अपनी सास से घुलमिल गई है मेरा दामाद मुझसे कब ऐसे बात करेगा और एक दामाद से बेटे की तरह पेश आएगा।

बेटी की शादी को जब एक साल बीता तो मैंने अपनी समधन यानी कि अपने बेटी की सास से बात की कि आखिर मेरी बेटी उनके साथ ऐसे घुली मिली कैसे। उन्होंने मुझे बताया कि शादी के बाद के पहले दिन से ही उन्होंने मेरी बेटी के साथ गप्पे लड़ाना, दोस्तों की तरह व्यवहार करना, मेरी बेटी के साथ शॉपिंग पर जाना और उसे समझने की लगातार कोशिश करते रहना, इन सब बातों पर ध्यान दिया और उन पर अमल किया।

सास की इन कोशिशों को देख मेरी बेटी ने भी अपनी सास में मेरा रूप देख लिया और वह बस उनसे घुल मिल गई। मैंने भी ठाना कि अपने दामाद और अपने बीच इस फॉर्मल रिलेशन को खत्म कर मैं भी एक ऐसा हेल्दी रिश्ता कायम करूंगी। जिसके लिए न सिर्फ मैंने अपनी समधन के सुझावों पर काम किया बल्कि कई अन्य तरीके भी अपनाए।

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मेरा दामाद मेरा बहुत आदर करता है। इसलिए मैंने भी उसे बराबर से सम्मान दिया, उसकी भावनाओं को समझा और हमारे बीच की फॉर्मल हेल्लो-हाय को छोड़ दोस्ती वाला हालचाल पूछना शुरू किया। मैंने अपने दामाद के साथ हसी-मजाक किया, कभ-कभी मजाक में किसी हल्की-फुल्की बात पर अपनी बेटी को गलत और अपने दामाद को सही ठहराया, अपने दामाद को यह एहसास कराया कि उसका ससुराल कोई दूसरा परिवार नहीं बल्कि उसी एक परिवार का हिस्सा है।

मैंने अपने दामाद की बातों को उतना ही महत्व दिया जितना कि वह मेरी हर एक बात को देता है। मैंने अपने दामाद को ज्यादा से ज्यादा समझने का प्रयास किया और यह कहते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आज वो मेरा दामाद नहीं बल्कि बेटा बन चुका है और हमारा रिश्ता पहले से काभी बेहतर हुआ है।

लेखिका- नेहा शर्मा (वह एक हाउस वाइफ हैं और उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताना सबसे ज्यादा अच्छा लगता है। उन्हें लोगों से मिलना-जुलना बहुत पसंद है और एक बड़ी फूडी हैं।)

तो इस तरह आप भी अपने दामाद के साथ एक हेल्दी रिलेशन बना सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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