मेंसुरेशन या पीरियड्स को टैबूज और मिथकों से जोड़ा जाता है। जब शिवानी का पहला पीरियड था तब वह 12 साल की थी। पीरियड्स से अनजान होने के कारण, उसने सोचा कि वह मर जाएगी। एक लड़की को अपने पहले पीरियड्स में डर, शर्म, शर्मिंदगी, दर्द और यहां तक कि अपराध बोध की भावना का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं पीरियड्स के प्रति मौन रहने के कारण कई महिलाओं को पीरियड्स में हाइजीन की अनदेखी का सामना करना पड़ता है। अनुसंधान से पता चलता है कि 80 प्रतिशत से अधिक लड़कियां अपने पहले पीरियड्स के लिए तैयार ही नहीं होती हैं और जानकारी के अभाव के कारण वह अपने पहले पीरियड्स पर आश्चर्यचकित हो जाती है।
इस विषय के इर्द-गिर्द घूम रहे इन टैबूज के लिए जागरूकता और शिक्षा की कमी जिम्मेदार है। आज भी शर्म के कारण महिलाएं पीरियड्स पर खुलकर बात नहीं कर पाती हैं। लेकिन अब इस शर्म को रोकने का समय आ गया है। जी हां यह सही समय है जब हम इसे वर्जनाओं को तोड़े और पीरियड्स पर खुल कर बात करने को प्रोत्साहित करें क्योंकि यह एक महिला के शरीर के प्राकृतिक जैविक कार्यों को बताता है। केवल लड़कियों को पीरियड्स पर अपनी मानसिकता को व्यापक बनाने की जरूरत ही नहीं है, बल्कि पूरे समाज को इसकी जरूरत है। इस वीडियो में शिवानी की तरह कई महिलाओं ने अपने पहले पीरियड्स की स्टोरी शेयर की है कि किस तरह से पीरियड्स को देखा और उनका अनुभव बदल गया।
Menstrual Hygiene Day 2019: My First Period: महिलाओं की जुबानी उनके फर्स्ट पीरियड्स की कहानी
इस वीडियो में कई महिलाओं ने अपने पहले पीरियड्स की स्टोरी शेयर की है कि पहले पीरियड्स के दौरान उनका अनुभव कैसा था।