हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन जो व्यक्ति व्रत और उपवास करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हर महीने दो एकादशी तिथियां होती हैं पहली शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में होती है।
हर महीने पड़ने वाली एकादशी तिथियों का अपना विशेष महत्व है और इसमें विधि विधान से पूजन किया जाता है। किसी भी एकादशी तिथि को अलग नाम से जाना जाता है और इसमें पूजन का अलग विधान होता है। इस साल जुलाई में दो नहीं बल्कि 3 एकादशी तिथियां पड़ेंगी।
जुलाई में पड़ने वाली पहली एकादशी योगिनी, दूसरी देवशयनी एकादशी और तीसरी कमिका एकादशी है। ये दोनोंतीनों एकादशी तिथियां अपना विशेष महत्व रखती हैं और इसमें भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के उपाय किए जाते हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें जुलाई की इन एकादशी तिथियों के बारे में विस्तार से।
योगिनी एकादशी आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी 2 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को रखने से समस्त पापों से मुक्ति मिल सकती है। इस व्रत को करने से जीवन में सदैव सुख-समृद्धि आती है।
योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें भगवान् विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस यदि आपकी शादी में देरी हो रही है या फिर नौकरी और व्यापार में समस्याएं हैं तो यह व्रत फलदायी हो सकता है।
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आषाढ़ महीने में दूसरी एकादशी तिथि शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए इसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई 2024 को रखा जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु की दिव्य निद्रा की शुरुआत का प्रतीक होती है। पुराणों के अनुसार, प्राचीन समय में भगवान विष्णु ने राजा बलि की उदारता और दानशीलता से प्रसन्न होकर, चातुर्मास यानी कि चार महीने की पवित्र अवधि के दौरान पाताल लोक में आराम करने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। तब से चार महीने के लिए भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में जाते हैं और इस दौरान भगवान शिव सर्वोच्च भूमिका निभाते हैं। इसलिए, चतुर्मास के दौरान भगवान शिव और उनके दिव्य परिवार की पूजा का विशेष महत्व होता है।
जुलाई महीने की तीसरी एकादशी सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी कामिका एकादशी 31 जुलाई को पड़ेगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से विशेष लाभ होता है।
कामिका एकादशी का आरंभ -30 जुलाई सायं 04 बजकर 44 मिनट से
कामिका एकादशी का समापन-31 जुलाई को शाम 03 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी।
उदया तिथि के अनुसार कामिका एकादशी 31 जुलाई को ही मनाई जाएगी।
यदि आप यहां बताए तरीके से योगिनी और देवशयनी एकादशी की पूजा करते हैं तो आपके जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है।
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