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Varuthini Ekadashi 2025 Shaligram Puja: वरुथिनी एकादशी के दिन इस विधि से करें शालिग्राम की पूजा, जानें सही नियम और महत्व

हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए समर्पित है। इस दिन शालीग्राम भगवान की पूजा का भी विधान है। अब ऐसे में वरुथिनी एकादशी के दिन शालीग्राम की पूजा किस विधि से करें और नियम क्या है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-04-21, 15:35 IST

सनातन धर्म में वरुथिनी एकादशी का व्रत वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत रखा जाएगा। वहीं इस साल वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अगर आपको किसी तरह की कोई समस्या का सामना का सामना करना पड़ रहा है तो वरुथिनी एकादशी के दिन पूजा-पाठ करने से और व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। अब ऐसे में अगर आप वरुथिनी एकादशी के दिन भगवना शालीग्राम की पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। नियम क्या है और पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

वरुथिनी एकादशी के दिन शालीग्राम की पूजा किस विधि से करें?

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  • सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा करने का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु और शालीग्राम का ध्यान करते हुए उन्हें पूजा में आने का आह्वान करें।
  • शालीग्राम को पंचामृत यानी कि दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण से स्नान कराएं। फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं और साफ वस्त्र से पोंछ लें।
  • शालीग्राम को यदि संभव हो तो पीले वस्त्र अर्पित करें।
  • वरुथिनी एकादशी के दिन शालीग्राम को चंदन का तिलक लगाएं।
  • भगवान शालिग्राम को पीले फूल और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। बता दें, तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
  • शालीग्राम की पूजा धूप और घी का दीपक जलाएं।
  • पूजा करने के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। आप "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय" या विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर सकते हैं।
  • वरुथिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
  • आखिर में भगवान विष्णु की आरती करें।

वरुथिनी एकादशी के दिन शालीग्राम पूजा का नियम क्या है?

  • शालीग्राम की पूजा करने के दौरान पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • आप पूजा करने के दौरान पीले रंग का आसन चुनें।
  • एकादशी का व्रत रखें। यदि संभव हो तो निर्जला व्रत रखें। इसके अलावा आप फलाहार भी रख सकते हैं।
  • रात्रि जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
  • घर में केवल एक ही शालीग्राम रखना शुभ माना जाता है। यदि अधिक हों तो उन्हें पवित्र नदी में विसर्जित कर दें।
  • अगर आप शालीग्राम की पूजा कर रहे हैं तो तामसिक भोजन से दूर रहें।

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वरुथिनी एकादशी के दिन शालीग्राम की पूजा का महत्व क्या है?

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वरुथिनी एकादशी के दिन शालिग्राम की पूजा का विशेष महत्व है। शालिग्राम भगवान विष्णु का ही एक रूप माने जाते हैं और एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए, इस दिन शालिग्राम की पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी के दिन शालिग्राम की पूजा करने से व्यक्ति को अपने पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन की पूजा से सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।

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