ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से विशेष महत्व है, क्योंकि यह सूर्य और चंद्रमा जैसे प्रमुख ग्रहों के प्रभाव से जुड़ा होता है। इस पर हमारे संवाद में उज्जैन के पंडित मनीष शर्मा कहते हैं, "सूर्य को आत्मा और जीवन का प्रतीक माना जाता है, जबकि चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक है।" जब सूर्य या चंद्रमा पर ग्रहण लगता है, तो इसका प्रभाव हमारी सेहत और जीवन पर गहरा असर डालता है। शास्त्रों में ग्रहण दोष का उल्लेख भी किया गया है, जिसे यदि किसी की कुंडली में पाया जाता है, तो उसका निवारण आवश्यक होता है, वरना उस व्यक्ति को जीवनभर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में ग्रहण तिथि, सूतक समय और ग्रहण काल के नियमों की जानकारी रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पंडित जी बताते हैं कि इस वर्ष केवल 2 सूर्य ग्रहण हैं और 2 चंद्र ग्रहण। इन चारों ग्रहण से मनुष्य के जीवन पर क्य प्रभाव पड़ सकता है। यह किस दिन पड़ेंगे और सूतक का समय क्या होगा। किन-किन देशों में इस ग्रहण का असर पड़ेगा। चलिए यह सब विस्ता से जानते हैं।
समुद्र मंथन के समय राहु नामक दैत्य ने देवताओं के वेश में अमृत पी लिया था। सूर्य और चंद्रमा ने इसकी सूचना भगवान विष्णु को दी थी। क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत पी चुका होने के कारण राहु और उसका धड़ केतु अमर हो गए। राहु-केतु सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं और उन्हें ग्रसित कर लेते हैं। यही वजह है कि हर साल 2 या 3 बार सूर्य और चंद्र ग्रहण पड़ता ही पड़ता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण
जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने से रोक देता है, तो इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं।
आंशिक सूर्य ग्रहण
इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को आंशिक रूप से रोकता है, जिससे सूर्य आंशिक रूप से ग्रहण में दिखाई देता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण
इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के केवल केंद्र को ढकता है, जबकि सूर्य के चारों ओर उसकी रोशनी की रिंग बन जाती है, जिसे "रिंग ऑफ फायर" कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण के प्रकार:
पूर्ण चंद्र ग्रहण
जब पृथ्वी पूरी तरह से चंद्रमा को ढक लेती है, तब इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं।
आंशिक चंद्र ग्रहण
इसमें पृथ्वी चंद्रमा का केवल एक हिस्सा ढकती है, जिससे चंद्रमा पर आंशिक ग्रहण दिखाई देता है।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण
जब चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया से गुजरता है, तो उसकी रोशनी कमजोर और मंद हो जाती है, लेकिन इसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ग्रहण नहीं माना जाता।
साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 र्माच को है। इसका असर बरमूडा, बारबाडोस, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, पूर्वी कनाडा,उत्तरी ब्राजील, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, स्वीडन, पोलैंड, पुर्तगाल, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और पूर्वी अमेरिका में दिखेगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखेगा और न ही इसका कोई प्रभाव होगा।
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को है और यह न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया में ही नजर आएगा। भारत में इस ग्रहण का न तो कोई प्रभाव होगा न यह मान्य होगा।
14 मार्च को पहला चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत में नहीं नजर आएगा। इस ग्रहण का प्रभाव केवल ऑस्ट्रेलिया , यूरोप, अफ्रीका , अमेरिका और अंटार्कटिका में दिखेगा। भारत में यह मान्य नहीं होगा।
साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा। साथ ही इसका असर ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, अमेरिका और अफ्रीका पर भी दिखेगा। यह ग्रहण 7 सितंबर को पड़ेगा और इसका आरंभ रात 9: 55 से होगा और प्रभाव 8 सितंबर को सुबह 1: 30 तक रहेगा। सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे से पहले ही लग जाएगा
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