हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है। इस समय पितरों को शांति और तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है। इसके लिए श्राद्ध की तिथि का ध्यान रखा जाता है, और उनके नाम का खाना और सामान ब्राह्मण को दान किया जाता है, लेकिन इन दिनों में रोजाना गौ ग्रास भी निकालते हैं। इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है और माना जाता है कि यह पितरों को सीधा तृप्त करता है। आइए पंडित जन्मेश द्विवेदी जी से जानते हैं इसे कैसे करें और इसकी मान्यता क्या है?
गौ ग्रास का अर्थ है भोजन का वह हिस्सा जो गाय को समर्पित किया जाता है। श्राद्ध या तर्पण के समय बनाए गए भोजन से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे पितरों को शांति मिलती है। साथ ही, उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए खाना बनाने से पहले ग्रौ ग्रास को निकाला जाता है। तभी पितृपक्ष में आपका खाना पितर स्वीकार करते हैं।
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पितृपक्ष में गौ ग्रास निकालना सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और सेवा का प्रतीक भी है। यह कार्य न केवल पितरों की आत्मा को तृप्त करता है, बल्कि परिवार में शांति और सुख समृद्धि भी लाता है।
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