सावन मास भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है। 23 जुलाई 2025, बुधवार को सावन शिवरात्रि मनाई जाएगी जो भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने का एक अत्यंत शुभ अवसर है। इस दिन शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। रुद्राभिषेक शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है क्योंकि यह रुद्र मंत्रों के साथ शिव जी का अभिषेक है जो उनकी रौद्र शक्ति का प्रतीक है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग रुद्राभिषेक के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री और उपाय के बारे में विस्तार से।
सावन शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक के लिए एकलौता मुहूर्त 23 जुलाई को रात 12 बजकर 7 मिनट से रात 12 बजकर 49 मिनट तक का है। यानी कि भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने की कुल अवधि है 42 मिनट।
सावन शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक के लिए सामग्री के तौर पर आप जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, गन्ने का रस, 108 बेलपत्र, धतूरा और आंकड़े के फूल, भांग, चंदन, कुमकुम/रोली, अक्षत, फल और मिठाई, पुष्पमाला, जनेऊ, वस्त्र, धूप और दीपक, भस्म, रुद्राक्ष माला।
सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को साफ करें। अब हाथ में जल, फूल और चावल लेकर रुद्राभिषेक का संकल्प लें, अपनी मनोकामना बोलें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और उनकी पूजा करें।
एक तांबे या पीतल के कलश में जल भरकर उसके ऊपर नारियल रखें और उसे शिवलिंग के पास स्थापित करें। शिवलिंग को वेदी पर स्थापित करें। यदि आप घर में कर रहे हैं तो शिवलिंग को एक थाली में रखें ताकि अभिषेक का जल इकट्ठा हो सके।
अब 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए या रुद्र मंत्रों का उच्चारण करते हुए क्रमबद्ध तरीके से शिवलिंग पर सभी सामग्री अर्पित करें। सबसे पहले जल से अभिषेक करें। फिर दूध से अभिषेक करें। इसके बाद दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
अंत में गन्ने का रस या पंचामृत से अभिषेक करें। प्रत्येक अभिषेक के बाद शुद्ध जल से शिवलिंग को धोते रहें। अभिषेक के बाद शिवलिंग को पोंछकर साफ करें और उन्हें वस्त्र तथा जनेऊ अर्पित करें। अब शिवलिंग पर चंदन, भस्म लगाएं और बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, भांग आदि चढ़ाएं।
फूल और माला अर्पित करें। धूप और दीपक जलाएं। फल और मिठाई का भोग लगाएं। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। भगवान शिव की आरती करें।
अपनी मनोकामना व्यक्त करें और पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद सभी में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
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सावन शिवरात्रि पर कुछ विशेष उपाय करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। शिवलिंग पर कम से कम 108 बेलपत्र 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए अर्पित करें। प्रत्येक बेलपत्र पर चंदन से 'ॐ' लिखें।
अगर धन संबंधी समस्या है, तो शिवलिंग पर दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें। इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। मोक्ष और पापों से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करें।
राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं और दान करें। इस दिन रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव का ही अंश माना जाता है।
लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति के लिए इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें। अपनी सामर्थ्यनुसार अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। दान करने से पुण्य बढ़ता है और ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है।
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