Radha Ashtami 2024 Date: भाद्रपद माह में राधा अष्टमी कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

पंचांग के हिसाब से भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन राधा रानी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। आइए इस लेख में जानते हैं कि राधा अष्टमी कब है, शुभ मुहूर्त क्या है और महत्व क्या है?

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हिंदू पंचांग के हिसाब से भगवान श्रीकृष्ण की अत्यंत प्रिय राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को विधि-विधान के साथ मनाने की परंपरा है। बता दें, राधाष्टमी का त्योहार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन के बाद आता है। इतना ही नहीं, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के साथ-साथ राधाष्टमी के पर्व में भी मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में भक्त श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। इस दिन ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति व्रत रखता है और विधिवत रूप से पूजा-पाठ करता है। उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। अब ऐसे में इस साल राधाष्टमी का पर्व कब मनाया जाएगा। राधा रानी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

राधाष्टमी कब है?

About Radhashtami Festival

पंचांग के हिसाब से इस साल राधाष्टमी का पर्व 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट से आरंभ होने जा रहा है और इसका समापन अगले दिन यानी कि 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि के आधार पर इस साल राधाष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी।

राधाष्टमी के दिन पूजा का मुहूर्त कब है?

राधाष्टमी के दिन पूजा का उत्तम मुहूर्त 11 सितंबर को सुबह 11 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक है। पूजा के लिए कुल अवधि 02 घंटे 29 मिनट तक है। इस दौरान आप विधिवत रूप से पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

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राधाष्टमी व्रत का महत्व क्या है?

Radhastami Meaning

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा राधा रानी के बिना पूरी नहीं मानी जाती है। इसलिए जो भक्त श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख रहे हैं, उन्हें राधा अष्टमी का व्रत भी जरूर रखना चाहिए। क्योंकि राधाष्टमी व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। राधा रानी को प्रेम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। राधाष्टमी पर उनकी पूजा करने से भक्तों के मन में प्रेम और भक्ति की भावना जागृत होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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