नवंबर का महीना हमेशा ही खास होता है। हर वर्ष इस माह में पड़ने वाले तीज-त्यौहार मन में उत्साह भर देते हैं। इस वर्ष नवंबर में लगभग सभी बड़े हिंदू पर्व आ रहे हैं। करवाचौथ से लेकर दिवाली तक सभी त्यौहारों का लोगों को बेसब्री से इंतजार है और इस बार 27 नवंबर तक पूरा कैलेंडर अलग-अलग त्यौहारों के नाम से भरा हुआ है।
इस माह के सभी बड़े और महत्वपूर्ण त्यौहारों के बारे में जानने के लिए और इन्हें मनाने के लिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत विधि की जानकारी के लिए आप हमारा यह लेख पढ़ सकती हैं। हमने अपने लेख में नवंबर में पड़ने वाले सभी तीज त्यौहारों और व्रत-पूजा के विषय में विस्तार से बताया है। साथ ही लेख में आपको इन त्यौहारों पर पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी मिल जाएगी।
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करवा चौथ का पर्व हर वर्ष कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर पड़ता है और इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग की सलामती के लिए करवे की पूजा करती है और चंद्रमा की पूजा करती हैं। यह व्रत बहुत ही शक्तिशाली होता है और पति की सेहत, तरक्की और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
ऐसी मान्यता है कि जो पत्नी अपने पति के लिए यह व्रत रखती है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और वह जीवन भर सुहागन रहती है। उत्तर भारत के साथ-साथ इसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार आदि में भी मनाया जाता है।
इस व्रत को ब्रह्म मुहूर्त से शुरू किया जाता है और दिनभर उपवास रखने के बाद, रात में जब चांद निकलता है तब इस व्रत को चंद्रमा को अर्घ देने के बाद खोल दिया जाता है। कई मान्यताओं के अनुसार यह व्रत पति ही खुलवाता है और चंद्रमा की पूजा के बाद वह खुद अपने हाथों से पत्नी को पानी पिलाता है और कुछ मीठा खिलाता है। इस वर्ष करवा चौथ पर पूजा के लिए शाम 5 बजकर 36 मिनट से शुभ मुहूर्त शुरू होगा और 6 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। वहीं चंद्रमा निकलने का समय हर स्थान पर अलग हो सकता है। संभावित समय रात 8 बजकर 15 मिनट बताया जा रहा है।
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अहोई अष्टमी का व्रत संतान के लिए रखा जाता है और यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। करवा चौथ से ठीक 4 दिन बाद पड़ने वाले इस पर्व पर जो महिलाएं संतान सुख प्राप्त करना चाहती हैं वह भी व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती है और फलाहार भी। पूरे दिन व्रत रखकर और अहोई माता की पूजा करके शाम के वक्त तारा देख कर व्रत खोला जाता है। यह व्रत भी करवा चौथ की तरह ही रखा जाता है और इसमें अपनी संतान की लंबी आयु की कामना की जाती है। इस बार अहोई अष्टमी 5 नवंबर के दिन दोपहर 12 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 6 नवंबर 3 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।
हिंदू धर्म में सभी एकादशी का अलग-अलग महत्व बताया गया है। वैसे तो हर एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है मगर यह एक ऐसी विशेष एकादशी है, जब श्री विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा होती है।
आपको बता दें कि रमा देवी लक्ष्मी का ही एक नाम है और इस दिन देवी लक्ष्मी के रमा स्वरूप के साथ श्री कृष्ण के केशव स्वरूप की भी पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि जीवन में सुख शांति चाहिए तो आपको इस एकादशी पर व्रत जरूर रखना चाहिए और सूर्यास्त के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस वर्ष 9 नवंबर को यह व्रत रखा जाएगा और उपवास रखने का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर शुरू होकर दूसरे दिन सुबह 8 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक दिवाली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज पर खत्म होता है। इस बार धनतेरस 10 नवंबर को है और इस दिन धन्वंतरि जयंती भी होती है। धन्वंतरि को धन का देवता कहा गया है और इनका अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था। यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन स्टील, चांदी, सोना, पीतल और तांबे की धातु की पूजा की जाती है। आप शाम 5 बजकर 48 मिनट पर धनतेरस की पूजा आरंभ कर सकती हैं और 7 बजकर 44 मिनट पर मुहूर्त समाप्त हो जाएगा।
हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख पर्व दिवाली है और इस बार यह त्यौहार 12 नवंबर के दिन पड़ रहा है। दिवाली क्यों मनाई जाती है इसका वर्णन अलग-अलग कथाओं में भिन्न-भिन्न मिलता है। अधिकांश लोग इस पर्व पर श्री गणेश और देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं और दीप जलाकर त्यौहार को मनाते हैं। दिवाली के दिन आप अलग-अलग मुहूर्त पर देवी लक्ष्मी का पूजन कर सकते हैं। यदि आप महानिशीथ काल में लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहते हैं तो आपको रात 11 बजकर 39 मिनट पर पूजा आरंभ करनी चाहिए और 12 बजकर 31 मिनट में यह मुहूर्त समाप्त हो जाएगा। चौघड़िया मुहूर्त में पूजा करने के लिए आपको शाम 5 बजकर 29 मिनट पर पूजा आरंभ करनी चाहिए। यह मुहूर्त 10 बजकर 26 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
गोवर्धन पूजा का महत्व भी बहुत है। इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को देव राज इंद्र की पूजा करने के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा। ऐसा करने पर देवराज इंद्र ने नाराज होकर ब्रजधाम में पानी का सैलाब ला दिया। ऐसे में श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली से उठाकर गांव वालों की रक्षा की थी। तब से गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाने लगा। इस वर्ष यह त्यौहार 14 नवंबर के दिन पड़ रहा है। आप सुबह 6 बजकर 42 मिनट पर इस गोवर्धन पूजा आरंभ करके 8 बजकर 51 मिनट पर समाप्त कर सकती हैं।
इस वर्ष छठ पूजा 19 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर तक की जाएगी। जहां संध्या अर्घ्य का समय 19 नवंबर को शाम 5 बजकर 26 मिनट है वहीं उषा अर्घ्य का समय 20 नवंबर सुबह 6 बजकर 47 मिनट रहेगा। इस दिन सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
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