
मार्गशीर्ष अमावस्या का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस अमावस्या को अगहन अमावस्या भी कहते हैं और यह दीपावली जितनी ही शुभ फलदायी मानी जाती है। इसका मुख्य महत्व पितरों को समर्पित है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान-पुण्य करने और श्राद्ध-तर्पण जैसे कर्म करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और उनकी कृपा से पितृ दोष समाप्त होता है। साथ ही, इस तिथि पर भगवान विष्णु और शिवलिंग की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आज मार्गशीर्ष अमावस्याके दिन क्या है पूजा-पाठ से लेकर स्नान-दान तक का शुभ मुहूर्त और महत्व?
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि का आरंभ 19 नवंबर, बुधवार के दिन सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन अगले दिन 20 नवंबर, गुरुवार के दिन दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर होगा। यूं तो अमावस्या तिथि यानी कि चंद्रमा का न दिखना 19 नवंबर को माना जाएगा क्योंकि अमावस्या रात्रि की होती है, लेकिन अमावस्या का स्नान-दान और अन्य पूजा 20 नवंबर को उदया तिथि पर किया जाएगा।

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान का विशेष महत्व होता है और इसका शुभ मुहूर्त सूर्य उदय के साथ ही प्रारंभ हो जाता है। 20 नवंबर को स्नान का शुभ मुहूर्त सूर्योदय यानी लगभग सुबह 06:48 बजे से शुरू होकर दिन भर रहेगा। चूंकि यह अमावस्या पितरों को समर्पित है, इसलिए पवित्र नदी या घर पर ही गंगाजल मिलाकर सुबह जल्दी स्नान करना और सूर्य देव को अर्घ्य देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
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मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन दान करने का सबसे शुभ मुहूर्त स्नान के तुरंत बाद यानी 20 नवंबर को सुबह 06:48 बजे से शुरू हो जाएगा जो दोपहर 12:01 बजे तक रहेगा। लगभग 5 घंटे के इस मुहूर्त में पितरों के निमित्त दान या देवी-देवताओं के निमित्त दान करना बहुत शुभ रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में अन्न, वस्त्र या तिल का दान करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलेगी और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन अपने इष्ट देव-देवता या फिर आपके घर के मंदिर में जो भी भगवान विराजित हैं उनकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक रहेगा। वहीं, पितरों की पूजा का समय सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है। शाम के समय पीपल के पेड़ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:30 बजे से 07:00 बजे के बीच का रहेगा।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों और भगवान की पूजा करने से भक्तों को दोहरा लाभ मिलता है। पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करने से पितृ दोष समाप्त होता है जिससे परिवार को सुख-शांति, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। वहीं, इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से सभी ग्रह दोष शांत होते हैं, जीवन के कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति को आर्थिक उन्नति के साथ-साथ अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
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