Makar Sankranti Vrat Katha 2025: मकर संक्राति के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, सूर्य देव की बरसेगी कृपा

सूर्य देव को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने के बाद मकर संक्रांति की व्रत कथा पढ़ना आवश्यक है तभी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।  
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मकर संक्रांति इस साल 14 जनवरी, दिन मंगलवार को पड़ रही है। जहां एक ओर इस दिन ज्योतिष गणना के आधार पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो वहीं, धार्मिक दृष्टि से इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाएगी। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि सूर्य देव को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने के बाद मकर संक्रांति की व्रत कथा पढ़ना आवश्यक है तभी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

मकर संक्रांति की व्रत कथा (Makar Sankranti Vrat Katha 2025)

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव को जब यह पता चला कि छाया उनकी पत्नी संध्या की मात्र प्रतिबिंब है, न कि उनकी असली पत्नी ता सूर्य देव ने माता छाया को त्याग दिया। जब शनिदेव का जन्म हुआ जब सूर्य जैसा तेज न होने और काला रंग होने के कारण सूर्य देव ने शनिदेव को पुत्र स्वीकार करने से पूर्णतः मना कर दिया।

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इसके बाद माता छाया शनिदेव के साथ एक जंगल में निवास करने लगीं, शनिदेव जिस घर में रहते थे उस घर का नाम कुंभ था जो आगे चलकर कुंडली में लग्न बना। एक दिन शनिदेव सूर्य देव के घर पहुंचे और उनसे अपनी माता छाया को त्यागने का कारण पूछा। सूर्य देव को क्रोध आया और उन्होंने शनिदेव को बहुत बुरा-भला कहा।

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यह सुन माता छाया ने पीड़ा में आकर सूर्य देव को कुष्ठ रोग हो जाने का श्राप दिया। जब सूर्य देव को इस श्राप के बारे में पता चला तो उन्होंने शनिदेव का घर कुंभ जला दिया। सूर्य देव जब कुष्ठ रोग से ग्रसित थे तब उनके दूसरे पुत्र यम ने उन्हें इस बात का आभास कराया कि उनका व्यवहार शनि और माता छाया के प्रति उचित नहीं है।

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इसके बाद सूर्य देव कब कुष्ठ रोग से ठीक हुए तो वह शनिदेव से मिलने उनके घर पहुंचे लेकिन तब तक उनका घर कुंभ बुरी तरह से झुलस चुका था। शनिदेव ने जब सूर्यदेव को अपने घर के पास देखा तो उनके पास कुछ नहीं था जो वो अपने पिता को दे सकें, सिवाय काले तिल के। शनिदेव ने वही काले तिल अपने पिता को दिए।

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सूर्य देव को अपनी भूल का आभास हुआ और उन्होंने शनिदेव को नया घर दिया जिसका नाम था मकर। इसी कारण से शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है। इसके बाद सूर्य देव ने जब मकर में प्रवेश किया तो वह मकर संक्रांति कहलाई और सूर्य देव ने शनिदेव को सुख-समृद्धि, संपन्नता और सकारात्मकता का वरदान दिया।

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तभी से मकर संक्रांति मनाई जाने लगी और इस दिन सूर्य उपासना का विशेष विधान माना जाने लगा। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा के बाद शनिदेव का नाम जाप करता है, उसे सूर्य और शनि दोनों ग्रहों की शुभता मिलती है एवं उस व्यक्ति के जीवन में अच्छे परिणाम नजर आने लगते हैं।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • मकर संक्रांति के दिन पानी में क्या डालकर स्नान करने का महत्व है?

    मकर संक्रांति के दिन पानी में काले तिल डालकर नहाना चाहिए क्योंकि इससे पितृ दोष दूर होता है और सूर्य देव प्रसन्न हो जाते हैं। 
  • मकर संक्रांति पर हमें कौन सा रंग नहीं पहनना चाहिए?

    मकर संक्रांति के दिन हमें काले और लाल रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।
  • मकर संक्रांति पर शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं?

    मकर संक्रांति के दिन शिवलिंग पर तिल और गुड़ चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।
  • क्या हम संक्रांति पर बाल धो सकते हैं?

    मकर संक्रांति के दिन बाल धोना वर्जित माना गया है, इससे एक दिन पहले बाल धो सकते हैं।