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Lalita Saptami 2025: क्यों मनाई जाती है राधा अष्टमी से पहले ललिता सप्तमी? जानें व्रत तिथि और महत्व

Lalita Saptami 2025: हर साल शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ललिता सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन लोग व्रत करते हैं। आइए जानते हैं इस बार यह सप्तमी तिथि किस दिन पड़ रही है, ताकि आप भी सही दिन पर व्रत रख सके।
Editorial
Updated:- 2025-08-26, 17:51 IST

हिंदू धर्म में कई सारे तीज-त्योहार आते हैं। इस समय तो त्योहारों का ही सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में हर तिथि पर कोई न कोई व्रत होता ही है। आपको बता दें कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पड़ती है। इस दिन लोग ललिता सप्तमी का व्रत रखते हैं। इस साल भी राधा अष्टमी से पहले ललिता सप्तमी का व्रत रखा जाएगा। आइए पंडित जी से इसका सही दिन और महत्व की जानकारी जानते हैं। जिसे पंडित जन्मेश द्विवेदी जी ने हमारे साथ शेयर की है।

किस दिन रखा जाएगा ललिता सप्तमी का व्रत ?

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 29 अगस्त को रात 08 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 30 अगस्त को देर रात 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। ऐसे में  30 अगस्त को ललिता सप्तमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन शनिवार पड़ रहा है। जितने भी लोग इस सप्तमी पर व्रत करते हैं वो देवी ललिता की पूजा-अर्चना करेंगे। साथ ही, उनके नाम को लेकर व्रत धारण करेंगे। आपको बता दें कि इस व्रत को करने से आप राधा रानी के प्रिय बन सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह तिथि उनकी प्रिय सखी ललिता की है।

Lalita ashtami

ललिता सप्तमी के व्रत का क्या है महत्व ?

  • ललिता सप्तमी का व्रत वह लोग रखते हैं, जिनको संतान चाहिए होती है, और उसमें हमेशा अड़चने आती है। ऐसे में आप भी संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को रख सकते हैं। इससे आपको सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  • इस व्रत को नया विवाहित जोड़ा भी रख सकता है। इसे रखने से उनका जीवन खुशहाली के साथ बीतेगा।
  • जितने भी लोग सप्तमी का व्रत रखते हैं, इस दिन का व्रत करने से उनकी सभी मनोकामना पूरी होगी। इसलिए ललिता सप्तमी का व्रत भी रखा जा सकता है।

Lalita saptami


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ललिता सप्तमी क्यों होती है खास ?

कथा के अनुसार देवी ललिता राधा रानी की सबसे प्रिय सखी में से एक थी। वहीं थी जिन्होंने राधा-कृष्ण के प्रेम को समझा। यही कारण है राधा अष्टमी से पहले ललिता सप्तमी मनाई जाती है। इस पूजा में कई सारे लोग राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा होती है।

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