हम सबके घर में कभी न कभी हमारी मम्मियों ने या फिर दादी-नानी ने नजर जरूर उतारी होगी। हां, वो बात अलग है कि कुछ लोग नमक से नजर उतारते हैं ओ कुछ लोग कपूर से तो वहीं, कुछ लोग सरसों तेल में बत्ती भिगोकर और उसे जलाकर नजर उतारते हैं। नजर उतारने के इन्हीं अलग-अलग तरीकों में से एक है चप्पल। आपने सुना जरूर होगा कि दादी-नानी अक्सर चप्पल से नजर उतारने की बात कहा करती थीं, लेकिन क्या वाकई ये सच है, क्या चप्पल से नजर उतारी जा सकती है, क्या चप्पल से नजर उतरती है और अगर ऐसा है तो क्या है तरीका। आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि चप्पल से नजर उतारने के बारे में ज्योतिष शास्त्र क्या कहता है और कैसे उतारें चप्पल से नजर।
ज्योतिष शास्त्र सीधे तौर पर यह नहीं कहता कि चप्पल से नजर उतरती है। यह ज्यादातर लोक मान्यताओं और दादी-नानी के नुस्खों का हिस्सा है जो पीढ़ियों से चले आ रहे हैं। इन मान्यताओं के पीछे का तर्क यह है कि जूते-चप्पल चूंकि पैरों में पहने जाते हैं और जमीन के संपर्क में रहते हैं इसलिए वे नकारात्मक ऊर्जाओं को सोखने की क्षमता रखते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जब बुरी नजर लगती है तो वह व्यक्ति के शरीर में नकारात्मक ऊर्जा के रूप में प्रवेश करती है और जूते-चप्पल इस ऊर्जा को अपने अंदर खींचकर उसे दूर करने में मदद कर सकते हैं। एक और विचार यह है कि पैर शरीर का निचला हिस्सा होते हैं और ज्योतिष में शनि देव का वास पैरों में माना जाता है। शनि और राहु जैसे ग्रहों का संबंध नकारात्मक ऊर्जा और नजर दोष से भी जोड़ा जाता है। इसलिए जूते-चप्पल का उपयोग इन नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सहायक हो सकता है।
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जिस व्यक्ति को नजर लगी है, उसकी अपनी पहनी हुई चप्पल या जूता लेना होता है। बच्चों के लिए उनके छोटे जूते-चप्पल का इस्तेमाल किया जाता है। उस चप्पल या जूते को व्यक्ति के सिर के ऊपर से, पैरों तक उल्टे क्रम में यानी कि घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में 7 बार घुमाया जाता है। कुछ लोग केवल सिर के ऊपर ही घुमाते हैं।
7 बार घुमाने के बाद उस चप्पल को घर के मुख्य दरवाजे की दहलीज पर 3 बार झाड़ा जाता है या हल्के से पटका जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से नजर का प्रभाव चप्पल में आकर दहलीज पर ही खत्म हो जाता है और वह घर के अंदर नहीं आ पाता। इसके बाद चप्पल को वापस उसकी जगह पर रख दिया जाता है।
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इस टोटके को अक्सर शनिवार के दिन आजमाया जाता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है, और जैसा कि बताया गया, जूते-चप्पल का संबंध शनि से है। इसलिए, शनिवार को इस उपाय को करने से अधिक प्रभावी माना जाता है। यह उपाय बच्चों पर लगी नजर के लिए विशेष रूप से प्रचलित है। बच्चों को बड़ों की तुलना में ज्यादा नजर लगने का डर होता है, इसलिए उनके लिए ऐसे सरल टोटके अक्सर इस्तेमाल किए जाते हैं।
भले ही वैज्ञानिक रूप से इसकी कोई पुष्टि न हो, लेकिन ऐसे टोटके अक्सर लोगों को मानसिक शांति और संतुष्टि देते हैं। जब व्यक्ति को लगता है कि उसने कुछ किया है तो उसे अच्छा महसूस होता है और नकारात्मक विचार कम होते हैं। यह एक प्रकार का विश्वास और सकारात्मक सोच पैदा करता है। कई बार चप्पल के साथ-साथ सरसों का तेल, राई, नमक, लाल मिर्च, या प्याज के छिलके जैसी चीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
इन सभी चीजों को नकारात्मक ऊर्जा को सोखने वाला माना जाता है। दहलीज को घर की सीमा और नकारात्मक ऊर्जा को रोकने का स्थान माना जाता है, इसलिए चप्पल को दहलीज पर झाड़ने का विधान है।
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