गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने का भी खासा महत्व माना जाता है। शास्त्रों में भी वर्णित है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, पूर्वजों को मोक्ष मिलता है और व्यक्ति के पुण्यों में वृद्धि हो जाती है। इसके अलावा, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें यह भी बताया कि गंगा दशहरा के दिन मां गंगा को प्रसन्न कर उनकी असीम कृपा पाई जा सकती है। ऐसे में मां गंगा को प्रसन्न करने हेतु आइये जनते हैं गंगा दशहरा की पूजा विधि और संपूर्ण पूजा सामग्री के बारे में।
गंगा दशहरा 2025 पूजा सामग्री
- मां गंगा की प्रतिमा या चित्र: यदि गंगा नदी में नहीं जा सकते, तो घर पर ही मां गंगा का चित्र या मूर्ति रखें।
- गंगाजल: शुद्ध गंगाजल छिड़काव या शुद्धिकरण के लिए।
- पूजा के बर्तन: एक छोटा लोटा या कलश, आरती के लिए दीपक, धूपदानी।
- फूल: सफेद और पीले फूल (गेंदा, गुलाब, चमेली आदि)।
- अक्षत: बिना टूटे हुए चावल।
- कुमकुम और सिन्दूर: मां गंगा को लगाने के लिए।
- हल्दी और चंदन: पूजा के लिए।
- फल: अपनी पसंद के कोई भी मौसमी फल।
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- मिठाई या नैवेद्य: गंगा मैया को भोग लगाने के लिए जैसे बताशे, पेड़े, हलवा।
- धूप और दीपक: वातावरण को शुद्ध करने के लिए।
- पान के पत्ते और सुपारी: शुभ माने जाते हैं।
- आम के पत्ते: कलश सजाने के लिए।
- दूर्वा और कुश: पूजा में उपयोग के लिए।
- सूत या मौली: कलश पर बांधने के लिए।
- नारियल: पूजा में रखने के लिए।
- दशांग या दशहरी: दस तरह की सामग्री जैसे दस फल, दस फूल, दस दीपक आदि दान के लिए।
- श्रृंगार का सामान: लाल चुनरी, चूड़ियां, बिंदी आदि मां गंगा को अर्पित करने के लिए।
गंगा दशहरा 2025 पूजा विधि
गंगा दशहरा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना सबसे शुभ माना जाता है। अगर गंगा नदी में जाकर स्नान करना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय 'गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।' मंत्र का जाप कर सकते हैं। स्नान के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े पहनें।
घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। वहां मां गंगा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। आप एक कलश में पानी भरकर उसमें गंगाजल, पान के पत्ते, आम के पत्ते, सुपारी, फूल और अक्षत डालकर उसे गंगा मैया का स्वरूप मानकर स्थापित कर सकते हैं। एक तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। हाथ में थोड़ा जल और फूल लेकर अपनी इच्छा और पूजा का संकल्प लें।
सबसे पहले दीपक जलाएं और धूप करें। मां गंगा को फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, हल्दी, चंदन अर्पित करें। फल और मिठाई (नैवेद्य) का भोग लगाएं। मां गंगा के मंत्रों 'ॐ गंगे नमः' या 'ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः' का जाप करें। आप अपनी श्रद्धा अनुसार जितना हो सके मंत्र जाप करें। गंगा दशहरा की कथा सुनें या पढ़ें। अंत में मां गंगा की आरती करें।
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गंगा दशहरा पर पितरों का तर्पण करना भी शुभ माना जाता है। यदि आप करना चाहें, तो दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल में थोड़े काले तिल मिलाकर पितरों के लिए तर्पण कर सकते हैं। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल, छाता, चप्पल या कोई भी उपयोगी वस्तु दान करें।
कहा जाता है कि इस दिन दस प्रकार की वस्तुओं का दान करने से दस पापों से मुक्ति मिलती है। पूजा समाप्त होने के बाद भोग लगाए गए प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों और अन्य लोगों में बांटें। पूजा के बाद बचे हुए गंगाजल को पूरे घर में छिड़क सकते हैं जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है एवं पारिवारिक सुख मिलता है।
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