हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है। इस दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। मान्यता है कि श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। अगर किसी कारण से आप अपने पितरों का श्राद्ध उनके निधन की तिथि पर नहीं कर पाए हैं तो एकादशी के दिन भी श्राद्ध किया जा सकता है जिसे 'एकादशी या ग्यारस का श्राद्ध' कहते हैं। एकादशी का श्राद्ध करते समय कुछ विशेष चीजें पितरों को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन चीजों को अर्पित करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार पर अपनी कृपा बरसाते हैं। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
एकादशी के दिन तुलसी दल का विशेष महत्व होता है। श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोजन में तुलसी का पत्ता जरूर रखें। तुलसी को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है और यह पवित्रता का प्रतीक है। पितरों को भोजन के साथ तुलसी अर्पित करने से वे संतुष्ट होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है।
गंगाजल को सबसे पवित्र जल माना जाता है। श्राद्ध के दौरान पिंडदान करते समय या जल तर्पण करते समय गंगाजल का उपयोग करना चाहिए। गंगाजल से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। आप थोड़ी मात्रा में गंगाजल भोजन में भी मिला सकते हैं जिसे पितरों को अर्पित किया जाता है।
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श्राद्ध कर्म में काले तिल का उपयोग अनिवार्य माना जाता है। काले तिल को पितरों का भोजन माना गया है। श्राद्ध करते समय जल में तिल मिलाकर पितरों को तर्पण करें और भोजन में भी तिल का प्रयोग करें। तिल अर्पित करने से पितरों को शक्ति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं। वहीं, काले तिल को गेंदे के फूल के साथ अर्पित करने से अधिक लाभ होगा।
पितरों को दूध से बनी खीर बहुत पसंद होती है। एकादशी के श्राद्ध में पितरों को खीर का भोग अवश्य लगाना चाहिए। खीर बनाते समय उसमें थोड़ा तुलसी का पत्ता और गंगाजल मिला दें। इस खीर को पहले पितरों को अर्पित करें फिर गाय, कौवे, कुत्ते और ब्राह्मणों को खिलाएं। खीर अर्पित करने से पितरों की भूख शांत होती है और वे संतुष्ट होकर अपना आशीर्वाद देते हैं।
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