सनातन धर्म में सभी तिथियों का विशेष महत्व है। वहीं हर माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। इस दिन श्रीहरि की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही जीवन में चल रही सभी परेशानियां भी दूर हो सकती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि के दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से भक्तों को विष्णु लोक की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है। अब ऐसे में एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु का जलाभिषेक करने का विशेष महत्व बताया गया है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का जलाभिषेक कैसे करें।
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जलाभिषेक करने के दौरान भगवान विष्णु के स्तोत्र का पाठ करने से लाभ हो सकता है। इस स्तोत्र को नियमित रूप से करें और उसके बाद भगवान विष्णु का श्रृंगार करें। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो सकती है। साथ ही सुख-समृद्धि और सौभाग्य में भी वृद्धि हो सकती है।
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं
नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥1॥
सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासं
गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥2॥
रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं॥3॥
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जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनं
जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं॥4॥
कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं
स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं॥5॥
समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं॥6॥
सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं
सदा युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं॥7॥
रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागं
मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं॥8॥
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