dev diwali vrat katha 2025

Dev Diwali Vrat Katha 2025: देव दिवाली पर भगवान शिव की होगी साक्षात कृपा, पढ़ें ये व्रत कथा

Dev Diwali ki Katha 2025: ऐसा माना जाता है कि आज भी देव दिवाली के पर्व पर गंगा घाट के किनारे भगवान शिव की पूजा करते हुए दीपदान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, सौभाग्य बढ़ता है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। 
Editorial
Updated:- 2025-11-05, 05:17 IST

देव दीपावली का पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और यह दिन भगवान शिव की विजय का उत्सव है। इसीलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक शक्तिशाली राक्षस का वध करके तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था। देवताओं ने इस महान विजय की खुशी में स्वर्ग से लेकर पृथ्वी तक दीप जलाए थे। ऐसा माना जाता है कि आज भी देव दिवाली के पर्व पर गंगा घाट के किनारे भगवान शिव की पूजा करते हुए दीपदान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, सौभाग्य बढ़ता है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। साथ ही, वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि इस दिन भगवान शिव से जुड़ी व्रत कथा पढ़ना या सुनना भी शिव कृपा का मार्ग खोलता है और व्यक्ति पर भगवान शिव का सानिध्य बना रहता है।

देव दिवाली की व्रत कथा (Dev Diwali Vrat Katha 2025

पौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर नामक एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस था, जिसने तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान प्राप्त कर लिया था। उसने वरदान में यह शर्त रखी थी कि केवल वही व्यक्ति उसे मार सके जो एक हजार वर्षों के बाद, जब सभी ग्रह एक विशेष पंक्ति में आएं और एक ही बाण से उसे मारे। इस वरदान के कारण त्रिपुरासुर तीनों लोकों पर अत्याचार करने लगा। देव, ऋषि-मुनि और मनुष्य सभी त्राहि-त्राहि कर उठे।

dev diwali ki vrat katha

जब कोई उपाय काम नहीं आया, तो सभी देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे। भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना स्वीकार की और त्रिपुरासुर के वध का संकल्प लिया। भगवान शिव ने अपने दिव्य रथ पर सवार होकर जिसमें पृथ्वी रथ, सूर्य-चंद्रमा पहिये, मेरु पर्वत धनुष और शेषनाग डोर थे, त्रिपुरासुर पर चढ़ाई की। जब सही समय आया और त्रिपुरासुर के तीनों नगर एक सीध में आए तो महादेव ने एक ही बाण से तीनों नगरों और त्रिपुरासुर का संहार कर दिया।

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भगवान शिव की इस अलौकिक विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने खुशी मनाते हुए दीप प्रज्वलित किए। यही कारण है कि देव दीपावली पर दीपदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन जो भक्त श्रद्धापूर्वक यह व्रत कथा सुनता है या स्वयं व्रत रखता है, वह अज्ञानता रूपी अंधकार और बुराई पर ज्ञान और धर्म की जीत का प्रतीक बनता है। 

dev diwali vrat katha

कार्तिक पूर्णिमा को शिव जी की पूजा करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। महादेव प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं क्योंकि यह दिन उनकी भक्तों के कल्याण की प्रतिज्ञा का प्रतीक है।

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FAQ
देव दिवाली के दिन क्या दान करें?
देव दिवाली के दिन पीले वस्त्र, पीला अनाज, केले, गुड़, चंदन, केसर या पीली वस्तुओं का दान करना बहुत लाभकारी माना जाता है।
देव दिवाली के दिन किस मंत्र का जाप करें?
देव दिवाली के दिन 'श्री महालक्ष्म्यै नमः' मंत्र का जाप करें।
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