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क्या पितरों के नाम की भी बांधी जा सकती है राखी? जानें धार्मिक मान्यता

अक्सर लोग पितरों के नाम की राखी को निकालते हैं और उनकी तस्वीर के सामने रखते हैं। लेकिन क्या हमें ऐसा करना चाहिए? इसके बारे में हम पंडित जी से जानते हैं, ताकि राखी पर हमने कोई गलती न हो।
Editorial
Updated:- 2025-08-06, 19:24 IST

रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का दिन होता है। राखी बांधना केवल एक रस्म नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा और स्नेह का एक वैदिक संकल्प है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र, सफलता और संकटों से रक्षा की कामना करती है। इसलिए यह त्योहार बेहद खास तरीके से बनाया जाता है। लेकिन हर बार लोगों के दिमाग में हर बार एक सवाल जरूर आता है क्या पितरों के नाम की राखी निकाली जा सकती है। इसकी जानकारी एस्ट्रोलोजर सिद्धार्थ एस कुमार ने शेयर की ताकि हमें इस बारे में जानकारी पता चल सके।

राखी किसे बांधी जाती है?

राखी का उद्देश्य रक्षा करना है और रक्षा सिर्फ उसी की जा सकती है जो जीवित होते हैं। वैदिक परंपरा में राखी यानी रक्षा-सूत्र का संबंध केवल जीवित रिश्तों के लिए होती हैं। रक्षा-सूत्र बांधते समय बोला जाने वाला मंत्र भी इसकी पुष्टि करता है। येन बद्धो बली राजा... इसका आशय है कि यह सूत्र जीवित व्यक्ति की रक्षा करे, उसे संकटों से बचाए।

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क्या मृत व्यक्ति को राखी बांध सकते हैं?

नहीं, शास्त्रों के अनुसार किसी मृत व्यक्ति को राखी बांधना उचित नहीं है। कारण यह है कि मृत्यु के बाद आत्मा के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान जैसी विशिष्ट विधियां निर्धारित हैं। ये सभी क्रियाएं शांति और गति के लिए होती हैं। वहीं राखी एक जीवन्त, पारिवारिक संकल्प है, न कि मृत व्यक्ति के लिए कोई वैदिक अनुष्ठान।

गरुड़ पुराण और मनुस्मृति का संकेत

गरुड़ पुराण के अनुसार मृतक के लिए पवित्र कर्म अलग होते हैं। उसे सामान्य पूजा-पर्व की विधियों से जोड़ना धर्म-सिद्धांतों के विरुद्ध है। यही बताया गया है कि पितरों के लिए जो भी श्रद्धा से तर्पण या अर्पण किया जाए, वही उन्हें फल देता है। राखी जैसे सांसारिक कार्य आत्मा को न लाभ देते हैं, न उनके लिए शास्त्रों में उनका स्थान है।

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श्रद्धा कैसे प्रकट करें?

यदि किसी दिवंगत भाई या बहन के प्रति मन में विशेष श्रद्धा है, तो उसे राखी बांधने के बजाय उनकी स्मृति में दीपक जलाएं, गाय को चारा दें, ब्राह्मण भोजन कराएं या किसी जरूरतमंद को रक्षा-सूत्र बांधकर पुण्य अर्जित करें। यह कर्म वैदिक दृष्टि से भी उचित होगा और आपकी भावना की सच्ची अभिव्यक्ति भी।

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इसलिए आपको कभी भी पितरों के नाम की राखी को नहीं रखना चाहिए। आप बस सही तरीके से राखी को बनाएं।र्जा को बढ़ा सकते हैं। साथ ही, अपने जीवन में परिवर्तन को ला सकते हैं। बस आपको अपने पंडित जी से इसकी जानकारी लेकर इसे सही तरीके से करें।

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