हिंदू धर्म में किसी भी पर्व का विशेष महत्व होता है और इसे विधि-विधान से मनाया जाता है। इनमें से ही एक पर्व है तीज, जो हिन्दुओं के लिए खास माना जाता है। तीज का पर्व साल में तीन बार मनाया जाता है जिनमें हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज तीनों की ही अलग मान्यता है।
ये तीनों ही त्योहार मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए मायने रखते हैं और इनमें महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत-उपवास करने से साथ पूजन करती हैं। इनमें से भी सबसे ज्यादा हरतालिका तीज महत्व रखती है और मान्यता है कि इस दिन निर्जला उपवास करने वाली स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
हरतालिका तीज का पर्व मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए होता है और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करने का विधान है। वहीं एक सवाल यह उठता है कि क्या कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत कर सकती हैं और इस व्रत को करने के नियम क्या हैं? आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से इसके बारे में विस्तार से जानें।
हरतालिका तीज क्यों मनाया जाता है
हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व देवी पार्वती को समर्पित है और यह भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है।
विवाहित महिलाएं पारंपरिक रूप से अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित लड़कियां भविष्य में अच्छे पति की तलाश के लिए यह व्रत रखती हैं। हालांकि एक सवाल यह भी आता है कि क्या अविवाहित लड़कियां हरतालिका तीज का व्रत रख सकती हैं? आइए जानें इसके बारे में विस्तार से।
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क्या कुंवारी लड़कियां हरतालिका तीज का व्रत रख सकती हैं?
अविवाहित लड़कियां व्रत रख सकती हैं या नहीं इस प्रश्न के उत्तर के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसे समझना जरूरी है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को जीवनसाथी के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की और उनकी भक्ति में दिन रात लीन रहीं।
उनकी भक्ति को देखते भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। जिस दिन देवी पार्वती का भगवान शिव से मिलन हुआ था उस दिन को ही हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा। ऐसी मान्यता है कि जिस प्रकार माता पार्वती को उनकी तपस्या और व्रत के फलस्वरूप भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी, वैसे ही जो भी लड़की हरतालिका तीज का उपवास करती है उसे भी सुयोग्य वर प्राप्त होता है।
कुंवारी लड़कियों को हरतालिका तीज व्रत से मिलता है अच्छे जीवनसाथी का आशीर्वाद
परंपरागत रूप से हरतालिका तीज को विवाहित महिलाओं का त्योहार माना जाता है। वहीं हिंदू रीति-रिवाजों और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार कुंवारी लड़कियां भी व्रत रख सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि लड़कियां इस व्रत का पालन करती हैं और पूरे विधि-विधान के साथ माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन करती हैं तो यह व्रत अविवाहित लड़कियों को ऐसे पति का आशीर्वाद देता है जिसमें भगवान शिव के समान गुण हों।
तात्पर्य यह है कि उन्हें समर्पित, अत्यंत प्रेम करने वाला और देखभाल करने वाला जीवनसाथी आशीर्वाद स्वरुप मिलता है। इस व्रत को करके कुंवारी लड़कियां भगवान शिव जैसे पति की इच्छा व्यक्त करती हैं और देवी पार्वती से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मांगती हैं।
अविवाहित लड़कियों के लिए हरतालिका तीज व्रत रखने के नियम
वैसे तो हरतालिका तीज व्रत रखने के लिए नियम विवाहित और अविवाहित लड़कियों दोनों के लिए ही समान हैं, लेकिन इन नियमों की जानकारी होना इसलिए जरूरी है जिससे इसका पालन सही ढंग से किया जा सके।
- अविवाहित लड़कियों को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत रखने के संकल्प के साथ व्रत शुरू करना चाहिए। संकल्प आमतौर पर, सूर्योदय से पहले स्नान करने और साफ कपड़े पहनने के बाद लिया जाता है।
- हरतालिका तीज एक निर्जला व्रत है, जिसका अर्थ है कि व्रत रखने वाले पूरे दिन भोजन या पानी का सेवन नहीं करते हैं। कोशिश करें कि आप इसी नियम से व्रत का पालन करे, लेकिन फलाहार लेकर भी इस व्रत का पालन किया जा सकता है।
- अविवाहित लड़कियों को पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए। शिव और पार्वती की मूर्तियों या चित्रों को एक साफ चौकी पर स्थापित करें और फल, फूल और मिठाई जैसे प्रसाद चढ़ाएं। इस व्रत की पूजा आम तौर पर शाम को की जाती है।
- हरतालिका तीज व्रत रखते समय अविवाहित लड़कियों को अच्छी तरह से पारंपरिक कपड़ों में तैयार होना चाहिए। वहीं सुहागिन महिलाओं को इस दिन सोलह श्रृंगार करने की सलाह दी जाती है।
- व्रत रखने वाली अविवाहित लड़कियों को उपयुक्त जीवन साथी के लिए देवी पार्वती से प्रार्थना करनी चाहिए।
- अगले दिन माता पार्वती और शिव जी के पूजन के साथ व्रत खोलना चाहिए। अविवाहित लड़कियों को व्रत का पारण पानी पीकर करना चाहिए।
यदि आप इस व्रत को श्रद्धा से रखती हैं तो जल्द ही आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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