जीवन में कई बार ऐसी परिस्थिति आती है जब व्यक्ति होपलेस हो जाता है, दिशा हीन हो जाता है, उसे समझ नहीं आता कि क्या करना चाहिए। व्यक्ति पूरी तरह से हार मान चुका होता है। अगर आप भी ऐसी परिस्थिति से गुजर रहे हैं तो इस सिचुएशन में आपको सिर्फ एक काम करना है और वो काम ये है कि आपको 5 वाक्य रोजाना खुद से बोलने हैं वो भी आयने के सामने खड़े होकर खुद को देखते हुए, खुद से नजरें मिलाते हुए।
असल में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि पहले जब गुरु शिष्य परंपरा हुआ करती थी तब गुरुकुल में इन 5 वाक्यों को संस्कृत में बुलवाया जाता था और आज के समय उन्हीं बातों को अब बड़े-बड़े इन्फ़्लूएन्सर कहते हैं और दूसरों को भी करने के लिए प्रेरित करते है। तो चलिए जानते हैं संस्कृत के उन 5 वाक्यों के बारे में और साथ ही, ये भी जानेंगे कि कैसे रोजाना इन्हें खुद से कहने से जीवन में बदलाव आएगा।
रोजाना खुद से कहें 'अहम् उत्तमः अस्मि'
अहम् उत्तमः अस्मि का मतलब होता है कि 'मैं श्रेष्ठ हूँ'। इस वाक्य को रोजाना खुद से कहने से आत्मविश्वास और आत्मबल को बढ़ावा मिलता है। अगर आप किसी भी कम को करने जाते हैं कोई शुरुआत करते हैं और आपको खुद पर ही भरोसा नहीं हो पाता है कि आप वह काम कर भी पाएंगे या नहीं तो ऐसे में आपको रोजाना यह वाक्य बोलना चाहिए। इससे आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ेगा।
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रोजाना खुद से कहें 'अहं स्वयमेव एतत् कर्तुं शक्नोमि'
अहं स्वयमेव एतत् कर्तुं शक्नोमि का मतलब है कि मैं खुद कुछ भी करने में सक्षम हूं। कोई भी व्यक्ति तब सबसे ज्यादा हार जाता है तब वह दूसरों पर निर्भर होना शुरू होता है। दूसरों पर निर्भर होने के कारण वह अपनी ही काबिलियत को पहचान नहीं पाता है। अगर आपके साथ भी यही होता है तो आप रोजाना खुद से ये वाक्य अवश्य कहें। इससे आपके अंदर आत्म निर्भरता का संचार होने लगेगा।
रोजाना खुद से कहें 'सदा मया सह भगवांस्ति'
कभी-कभी व्यक्ति बहुत मेहनत करता है, व्यक्ति में बहुत हुनर काबिलियत भी होती है लेकिन भाग्य का साथ उसे नहीं मिल पाता है। भाग्य को हम नहीं बदल सकते हैं लेकिन जो बदल सकते हैं उनका ध्यान हमेशा हमें करते रहना चाहिए। अक्सर विपरीत परिस्थियों में हम भगवान को कसने लगते हैं जब कि हमें 'सदा मया सह भगवांस्ति' यानी कि 'भगवान सदैव मेरे साथ हैं' इस वाक्य को रोजाना खुद से बोलना चाहिए।
रोजाना खुद से कहें 'अद्य मम दिवसः'
जरा सा कुछ हुआ नहीं कि अक्सर हम से बहुत से लोग यह सोचने लगते हैं कि हमारा तो दिन ही खराब है, हमारे साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। ऐसा सोचना या कहना गलत है, वो इसलिए क्योंकि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही हमारे साथ होने लगता है। ऐसे में यह जरूरी है कि आप रोजाना 'अद्य मम दिवसः' वाक्य को खुद से बार-बार कहें। इसका मतलब है कि 'ये मेरा दिन है'। इससे सकारात्मक बदलाव दिखेगा।
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रोजाना खुद से कहें 'अहम् जयन्ती अस्मि'
हमें अक्सर पौराणिक कथाओं या फिर धरम शास्त्रों के माध्यम से यह बताया जाता है कि किसी भी व्यक्ति को तब तक कोई हरा नहीं सकता है जब तक वह खुद को हारा हुआ न मान ले। अगर आप खुद को फेलियर समझते हैं और सोचते हैं कि आप कभी नहीं जीत सकते हैं तो ऐसे में रोजाना खुद से 'अहम् जयन्ती अस्मि' यानी कि 'मैं विजयी हूं' कहें। इससे आपको खुद में यह महसूस होगा कि अभी बाजी आपके साथ में है।
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