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Anant Chaturdashi Vrat Katha 2025: अनंत चतुर्दशी के दिन पढ़े ये व्रत कथा, अनंत सुखों की होगी प्राप्ति

Anant Chaturdashi Vrat Katha 2025: अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है। इस दिन विधिवत तरीके से पूजा की जाती है। इसे करने से अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। घर में सुख-शांति बनी रहती है।
Editorial
Updated:- 2025-09-05, 13:18 IST

अनंत चतुर्दशी का व्रत घर की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जिस कुछ लोग अनंत भगवान भी कहते हैं। उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इस बार यह व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। इसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और तारे को अग्र देकर अपना व्रत खोलती हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर आप इस व्रत को विधिवत तरीके और पूरी श्रद्धा के साथ करती हैं, तो इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और सारे दुखों का नाश करते हैं। इसलिए पितृपक्ष के शुरू होने से 1 दिन पहले चतुर्दशी वाले दिन इस व्रत को रखा जाता है। चलिए आर्टिकल में बताते हैं इस व्रत की कथा और विधि। इससे आप भी सही तरीके से इस व्रत को कर पाएंगी। 

व्रत से पहले करें ये काम

Anant chaturdashi vrat

व्रत की शुरुआत करने से पहले स्नान करें। अब साफ-सुथरे कपड़ों को पहने और मंदिर में जाकर दीपक जलाएं। व्रत का संकल्प करें। हाथ में कलावा बांधकर उसमें 14 गांठ लगाएं। इसे कथा और व्रत पूरा करने के बाद ही खोलें। 

अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा

Anant chaturdashi vrat vidhi

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार प्राचीन समय की बात है।  एक सुमंत नाम के एक ऋषि हुआ करते थे उनकी पत्नी का नाम था दीक्षा। काफी समय बाद उनके घर में सुंदर कन्या का जन्म हुआ, जिसका नाम माता-पिता ने सुशीला रखा। बेटी बड़ी होने लगी। तभी एक दिन उसकी मां का देहांत हो गया। उस समय सुशीला छोटी थी। यह देखकर ऋषि अपनी बच्ची के लालन पोषण की चिंता सताने लगी। ऐसी परिस्थिति में उन्होंने दूसरा विवाह कर लिया। उनकी दूसरी पत्नी और सुशीला की सौतेली मां का नाम कर्कशा था। सुशीला की सौतेली मां उसे पसंद नहीं करती थी।

जैसे तैसे प्रभु कृपा से सुशीला बड़ी होने लगी और वह दिन भी आया जब ऋषि सुमंत को उसके विवाह की चिंता सताने लगी। इसके लिए उन्होंने काफी प्रयास किए। इसके पश्चात कौडिन्य ऋषि से सुशीला का विवाह हो गया। सुशीला के विवाह होते ही उसके पिता के घर में दरिद्रता का वास हो गया। इसकी वजह से उन्हें भोजन बड़ी मुश्किल से मिलता था। साथ ही, वह जगंलों में भटका करते थे।

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वहीं एक दिन सुशीला ने देखा कुछ लोग अनंत भगवान की पूजा कर रहे हैं और हाथ में अनंत रक्षासूत्र भी बांध रहे हैं। सुशीला ने उनसे अनंत भगवान के व्रत के महत्व को जानकर पूजा का विधि विधान पूछा और उसका पालन करते हुए अनंत रक्षा सूत्र अपनी कलाई पर भी बांध लिया। देखते ही देखते सुशीला के दिन फिरने लगे। इसे देखकर कौण्डिन्य ऋषि में अहंकार आ गया, उन्हें लगा की यह उनकी मेहनत का फल है।

Vrat katha

अगले साल फिर अनंत चतुर्दशी आई। इस दिन भी सुशीला ने पहले की तरह अनंत भगवान का शुक्रिया कर उनकी पूजा आराधना कर अनंत रक्षा सूत्र को बांध लिया। जब वो इस रक्षा सूत्र को बांधकर वापस घर लौट रही थी तो कौण्डिन्य को उसके हाथ में बंधा वह अनंत धागा दिखाई दिया और उसके बारे में पूछा। सुशीला ने खुशी-खुशी बताया कि अनंत भगवान की आराधना कर यह रक्षासूत्र बंधवाया है। इसकी वजह से हमारे अच्छे दिन आए हैं। इस पर कौडिन्य खुद को अपमानित महसूस करने लगे। साथ ही, कहने लगे की हमारी मेहनत का फल तुम किसी और को दे रही हो।

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उन्होंने उस धागे को निकाल दिया। इससे अनंत भगवान रुष्ट हो गये और देखते ही देखते कौडिन्य अर्श से फर्श पर आ गिरे। तब एक विद्वान ऋषि ने उन्हें उनके किये का अहसास करवाया और कौडिन्य ने अपने किए गए कामों की क्षमा मांगी। इसके बाद उन्होंने लगातार 14 सालों तक अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा। इससे भगवान श्री हरि प्रसन्न हुए और कौडिन्य व सुशीला फिर से सुखपूर्वक रहने लगे।

इस व्रत कथा को जरूर कहें। इसके बिना आपका व्रत पूरा नहीं माना जाएगा। साथ ही, व्रत करते समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं।

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Image Credit- Herzindagi.com hindi

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FAQ
अनंत चतुर्दशी का व्रत कब रखा जाएगा?
अनंत चतुर्दशी का व्रत इस साल 6 सितंबर को रखा जाएगा।
अनंत चतुर्दशी के दिन क्या निर्जला व्रत रखा जाता है?
जी हां, इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
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