
12 नवंबर 2025 का पंचांग काल भैरव जयंती पर्व की वजह से विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव का अवतरण हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के कारण यह दिन कालाष्टमी भी कहलाता है और इस शुभ अवसर पर भगवान काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को हर तरह के भय, संकटों और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है तथा जीवन में शक्ति और विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, इस दिन पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि रात 10:58 बजे तक रहेगी जिसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी और अश्लेषा नक्षत्र शाम 06:35 बजे तक रहेगा। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी | आश्लेषा | बुधवार | शुक्ल | बालव |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06:41 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 05:29 बजे |
| चंद्रोदय | रात 12:22 बजे |
| चंद्रास्त | दोपहर 01:09 बजे (अगले दिन) |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:56 बजे से सुबह 05:49 बजे तक |
| प्रातः संध्या | सुबह 05:22 बजे से सुबह 06:41 बजे तक |
| अमृत काल | शाम 04:58 बजे से शाम 06:35 बजे तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:36 बजे तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 05:29 बजे से शाम 05:55 बजे तक |
| निशिता मुहूर्त | रात 11:39 बजे से रात 12:32 बजे तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 01:26 बजे तक |
| गुलिक काल | सुबह 10:44 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक |
| यमगंड | सुबह 08:02 बजे से सुबह 09:23 बजे तक |

12 नवंबर 2025, बुधवार का मुख्य व्रत और त्यौहार काल भैरव जयंती है। यह दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी तिथि पर भगवान शिव ने अपने उग्र और दंड देने वाले स्वरूप, काल भैरव के रूप में अवतार लिया था। इस दिन, जो कि हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है, भक्त विशेष रूप से भगवान भैरव की पूजा करते हैं ताकि वे सभी प्रकार के भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से अपनी रक्षा कर सकें और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकें।
12 नवंबर 2025 को काल भैरव जयंती होने के कारण यह दिन विशेष उपायों के लिए बहुत शुभ है। इस दिन आपको शाम के समय भगवान भैरव के मंदिर जाकर या घर पर ही उनके सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और संभव हो तो उसमें काले उड़द के कुछ दाने डालें। पूजा के दौरान 'ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ' मंत्र का जाप करें, भैरव जी को मीठी रोटी, नारियल या जलेबी का भोग लगाएं और विशेष रूप से काले कुत्ते को भोजन जरूर कराएं क्योंकि कुत्ते को भैरव जी का वाहन माना जाता है। इन उपायों से आपके सभी प्रकार के भय, शत्रु बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है तथा जीवन में सुख-शांति और सुरक्षा बनी रहती है।
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