महाकुंभ 13 जनवरी सेव शुरू हुआ था और 26 फरवरी को इसका समापन होगा। जहां एक ओर अब तक 2 अमृत स्नान हो चुके हैं, पौष पूर्णिमा एवं मकर संक्रांति के दिन तो वहीं, अब अगला अमृत स्नान माघ अमावस्या यानी कि 29 जनवरी, बुधवार के दिन है। माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान करने का विशेष महत्व ज्योतिष शास्त्र में बताया जा रहा है।
ज्योतिष गणना के आधार पर इस दिन कुछ दिव्य योगों का निर्माण हो रहा है जिसके कारण मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में अमृत स्नान करने का अत्यधिक लाभ लोगों को प्राप्त होगा, लेकिन ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि इस दिन अमृत स्नान के दौरान कुछ बातों का ख़ास ख्याल रखें और गलतियां करने से बचें नहीं तो बुरा प्रभाव जीवन पर पड़ सकता है।
मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में अमृत स्नान के नियम
मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान के दौरान पितरों का ध्यान करते हुए उनके नाम की एक डुबकी त्रिवेणी संगम में अवश्य लगाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि अमावस्या तिथि पितरों के आधीन मानी गई है। ऐसे में इस दिन अमृत स्नान करते हुए अगर पितरों का ध्यान किया जाए और उनके नाम की डुबकी लगाई जाए तो इससे पितृ प्रसन्न होंगे और कृपा बरसाएंगे।
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मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान के दौरान इस बात का ध्यान रखें की महाकुंभ में स्नान के बाद दान अवश्य करें। जरूरी नहीं की आप कोई बड़ा दान करें। अपनी क्षमता अनुसार ही दान करना चाहिए, बस श्रद्धा पूर्ण रूप से रखें। मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान के बाद दान करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और आर्थिक स्थिति सुधरती है।
मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान के दौरान मां गंगा के 3 प्रमुख मंत्र: 'ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:', 'ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।' और 'गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।' का जाप अवश्य करें। इससे पुण्यों में वृद्धि होगी और मां गंगा की कृपा मिलेगी।
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मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान के दौरान गंगा में 3 वस्तुएं अवश्य प्रवाहित करें। तीन चार दाने काले तिल के मां गंगा के चरणों में स्नान के बाद भेंट करें। इसके अलावा, आटे के दीपक में कपूर जलाकर मां गंगा की आरती करें और फिर उसे जल में प्रवाहित कर दें। आखिरी वस्तु है पुष्प, सिर्फ एक गेंदे का फूल मां गंगा को अर्पित करने से कष्टों का नाश होगा।
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