एक वक्त पर महिलाओं की जिंदगी, सिर्फ घर और परिवार के इर्द-गिर्द ही मानी जाती थी। महिलाओं को दुनिया रसोई से शुरू होकर, घर के आंगन में खत्म हो जाती थी। लेकिन, आज वक्त बदल चुका है। आज महिलाएं, घर-परिवार के साथ, अपने करियर और प्रोफेशनल लाइफ को भी बखूबी मैनेज कर रही हैं। घर में सबका ख्याल रखना हो या ऑफिस में गोल्स को अचीव करना, महिलाएं, कहीं भी पीछे नहीं हैं। लेकिन, इस बीच, महिलाओं के ऊपर जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि महिलाओं से ये उम्मीद की जाती है कि वे चाहे चांद पर भी चली जाएं, लेकिन, जाने से पहले, चार रोटी और एक कप चाय बनाकर जाएं। यानी की, वर्किंग वुमेन के लिए, जिम्मेदारियां और भी ज्यादा हो जाती हैं।
इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के बीच, महिलाएं अक्सर अपने लिए वक्त निकालना भूल जाती हैं। जिंदगी की भागदौड़ के बीच, महिलाओं के लिए, 'मी टाइम' निकालना बहुत जरूरी है। मेरा नाम भावना ठाकुर है और मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती हूं। साथ ही, घर भी मैनेज करती हैं। लेकिन, सब चीजों को करते हुए, मैं अपने लिए 'मी टाइम' जरूर निकालती हूं। आप भी मेरे इन टिप्स की मदद लेकर, अपने लिए कुछ वक्त निकाल सकती हैं।
प्लानिंग के साथ करें काम
मैं रोज अपने डेली टू-डू लिस्ट तैयार करती हूं। दिन में मुझे क्या काम करना है, कितनी देर करना है और किस काम को कितना वक्त देना है, ये सब मैं प्लान करती हूं। अगर कुछ काम नहीं भी हो पाते हैं, तो मैं उन्हें अगले दिन के छोड़ देती हैं। लेकिन, दिन में एक घंटा खुद को जरूर देती हैं और उस एक घंटे में वो चीजें करती हूं, जो मुझे खुशी देती हों।
काम बांटने की करती हूं कोशिश
बेशक, घर की जिम्मेदारियां मेरे ऊपर हैं और मुझे ऑफिस को भी मैनेज करना है। लेकिन, मैं यह भी समझती हूं कि खुद पर बहुत ज्यादा दबाव डालकर मैं अपनी मेंटल और फिजिकल हेल्थ को खराब कर लूंगी। इसलिए, मैं खुद को ज्यादा प्रेशर में नहीं आने देती हूं। घर के कामों की जिम्मेदारियां, घर के बाकी लोगों को भी संभालना जरूरी है।
'मी टाइम' में करती हूं यह काम
हम सभी के लिए 'मी टाइम' का मतबल अलग-अलग हो सकता है। मसलन, हो सकता है किसी को म्यूजिक सुनना पसंद हो, किसी को डांस करना, किसी को पेंटिंग करना या कुछ और। मैं 'मी टाइम' में अलग-अलग चीजों को करने की कोशिश करती हूं। 'मी टाइम' में आपको सिर्फ वही चीजें करनी चाहिए, जो आपको खुशी दें और जिन्हें करके आपको अच्छा लगे।
दूसरों के जजमेंट की परवाह न करें
कई बार महिलाएं, अपने लिए कुछ करने से इसलिए कतराती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग क्या कहेंगे! मैं यह सब नहीं सोचती हूं। मेरा मानना है कि दूसरों को खुश रखने या फिर खुद के सपनों को पूरा करने के लिए, खुद को खुश रखना सबसे पहले जरूरी है। अगर मैं खुश नहीं हूं, तो इसका असर मेरे मूड, सेहत और काम पर भी होगा। इसलिए, मैं 'मी टाइम' को हर महिला का हक मानती हूं।
भावना ठाकुर
(लेखिका एक प्राइवेट जॉब करती हैं, स्टोरी में व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं।)
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