मेरा नाम रीटा शर्मा है। मेरा जन्म और पढ़ाई कोलकाता में हुई। शुरू से ही लिखने और पढ़ने का बहुत शौक था। शादी के बाद जब दिल्ली आई तो पति ने भी मेरा पूरा साथ दिया। हम दोनों चूंकि एक ही फील्ड से हैं, तो उन्होंने हमेशा मेरे काम, पढ़ाई और लेखन में मेरा सहयोग किया। शादी के बाद, मैंने सास और बहू के रिश्ते को बहुत करीब जाना। लोग अक्सर इन दो रिश्तों के बारे में बहुत कुछ बोलते और सुनते हैं। आज मैं जो कहानी बता रही हूं, उसे आप भी पढ़िए और बताइए कि क्या हर सास और बहू के रिश्ते में खटास होती है?
शाम के 5:30 बज रहें हैं। दरवाजे की घंटी बजती है, सुमित्रा अपने घुटनों को सहलाते हुए उठती है, आ रही हूं।
मैम कूरियर... अच्छा, पार्सल लेते हुए, जरूर आकांशा का होगा। भेजने वाले का नाम पढ़कर सुमित्रा खुश हो जाती है। मजाल है एक दिन भी इधर-उधर हो जाये। मेरी प्यारी बेटी, दवाइयां भेजना कभी नहीं भूलती।
चलो आकांशा को फ़ोन कर की बता देती हूं, कहकर सुमित्रा फ़ोन मिलाती है, हेलो! आकांशा बेटा कैसी हो? मैं बिलकुल ठीक हूं, बस अभी- अभी ऑफिस से आई हूं। आप कैसीं हैं मम्मी? मैं ठीक हूं बेटा। और बताओ आपके घुटनों का दर्द कैसा है? तभी दरवाज़े की घंटी बजती है, ज़रा होल्ड करना मम्मी,कोई आया है। पार्सल आया है, खोल कर तो देखो, जी अच्छा, आकांशा बॉक्स खोलती है।
अरे वाह! वह खुशबू से पहचान जाती है। अच्छा तो आपने बेसन की लड्डू भेजें है, आह! मां के हाथ के लड्डू। बहुत दिनों से खाने की इच्छा हो रही थीं। लेकिन आप को कैसे पता चला? जैसे तुझे पता चला की मुझे दवा की जरूरत है।
अच्छा बेटा घर कब आ रहींहो? मिलने को दिल कर रहा है। इस वीकेंड आतीं हूं, मां। ठीक है बेटा मैं इंतज़ार करूंगी। ओके बाई!
सुमित्रा फिर किसी को फ़ोन मिलाती है। हैल्लो! अभिषेक,बेटा कैसे हो? मैं ठीक हूं आंटी। आप कैसें हैं? मैं भी ठीक हूं। बहुत दिनों से तुम मिलने नहीं आएं, बस थोड़ा बिजी था। अच्छा इस शनिवार फ्री हो,जी आंटी, हुकुम कीजिये, कोई काम था? आप ठीक हैं ना। हां, सब ठीक है। तुम ऐसा करो शनिवार को घर आ जाना। ठीक है आंटी। चलो फिर मिलते हैं, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगीं ।ओके बाई!
शुक्रवार का दिन है, सुमित्रा बहुत खुश है, आज आकांशा घर आने वाली है, बड़े चाव से उसका पसंदीदा खाना बना रहीं है। आज मैं उसकी एक नहीं सुनने वाली, जब भी शादी की बात करो टाल जाती है, आज उसे मना कर रहूंगी, चाहे कुछ भी करना पड़े। सारी तैयारी कर बड़े बेसब्री से वह उसका इंतज़ार कर रहीं है।
शाम के 6 बज रहे हैं,आकांशा अब तक नहीं आयी फ़ोन कर के पूछती हूं, तभी डोर बैल बजती है,आ गयी, क्या हुआ बेटा लेट हो गयी ,पूछो मत मम्मी कितना ट्रैफिक था। बहुत भूख लगी है क्या बनाया है? सब तुम्हारे पसंद का है। तुम फ्रेश हो जायो तब तक मैं खाना गरम करतीं हूं। डिनर के बाद सुमित्रा कॉफ़ी लेकर आकांशा के पास जाती है,दोनों एक दूसरे से ढेर सारी बातें करतें हैं। बेटा कल मैंने अभिषेक को बुलाया है,क्यों? क्या मतलब क्यों,मम्मी फिर से वही बात,बहुत हुआ अब मैं कुछ नहीं सुनना चाहतीं,जैसा मैं कहूंगी वैसा ही करना पड़ेगा।
मुझे आज भी वह दिन याद है, जब तुम पहली बार मेरे घर बहु बन कर आई थी। हम सब कितने खुश थे। मैं तो तुम्हारी जैसी बहु पाकर धन्य हो गयी थी।पता ही नहीं चला कब तुम बहु से मेरी बेटी बन गयी।और आज मेरी सब से अच्छी सहेली।
आज तुम्हारे तलाक को 5 साल हो गए। मेरे नालायक बेटे को भी मूव ओन किए 4 साल हो गए। दूसरी शादी करके अमेरिका सेटल हो गया है। उसने मुड़कर कभी पीछे नहीं देखा। हां कभी-कभी उसका फोन जरूर आ जाता है। उसके लिए तो वह भी बहुत बड़ी बात है। और तुम आज तक एक बेटी की तरह मेरा ख्याल रख रही हो। अब मैं चाहतीं हूं कि तुम भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो। और कुछ नहीं तो अभिषेक के बारे में सोचो, वह कब तक तुम्हारे इंतज़ार में बैठा रहेगा। कल मैंने उसे बुलाया है, तुम्हारे पास और कोई ऑप्शन नहीं है, मैं जवाब में हां सुनना चाहती हूं। सिर्फ हां, समझ रही हो ना? आकांशा भावुक हो गई। आंखों में आसूं भरकर, जी कह देती है।
आखिरकार सुमित्रा आकांशा को दूसरी शादी के लिए मना ही लेती है। और दोनों एक-दूसरे को गले मिल भाव-विभोर हो रोने लगती हैं।
( लेखिका रीटा शर्मा को पढ़ने और लिखने का बहुत शौक है। उन्होंने हिंदी और जर्निलज्म में मास्टर किया है। )
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