एक बहुत बड़े अमेरिकन कवि के शब्द हैं- 'बड़े होने के लिए बहुत साहस की जरूरत होती है'! यह 100 प्रतिशत सच है और इस फ्रेज को हम सबने किसी न किसी तरह से अडैप्ट किया है।
मेरी मां अक्सर कहा करती थी... जब तुम बड़े हो जाओगे न तब पता चलेगा! अब सोचती हूं कि मां सच ही कहती थी। आया वो समय भी, जब मैं बड़ी हो गई। चीजों को उसी नजर से देखने लगी। अच्छे और बुरे की पहचान धीरे-धीरे घर करने लगी। मैंने भी दुनिया को मां की नजर से देखना और परखना शुरू कर दिया।
मैं समझती हूं कि बड़े होने के एहसास हर किसी को अलग-अलग स्थितियों, उम्र और फेज में होना शुरू होता है। कुछ लोगों के लिए ये अच्छा हो सकता है और शायद कुछ के लिए बुरा। अगर इसे पॉजिटिविटी के चश्मे चढ़ाकर देखें तो बड़े होने की अच्छी बात यह है कि आपके अंदर जिम्मेदारियां संभालने की बुद्धि और शक्ति दोनों आ जाती है। आप चीजों को अक्सर दो नजरिए ये देखते हैं। आप अपने और दूसरों के प्रति कमिटेड और अकाउंटेबल होते हैं।
मुझे बड़े होने का एहसास पहली बार तब हुआ था, जब मैंने शायद 3-4 साल की उम्र में अपने छोटे भाई का ख्याल रखना शुरू किया। मां और पापा दोनों काम करते थे और बड़े होने के नाते मैंने वो जिम्मेदारी खुद पर ली थी।
मुझे ये एहसास तब भी हुआ था जब मां हॉस्पिटल में थी और मैं घर की देखरेख कर रही थी। ऐसा ही एहसास तब भी हुआ, जब मैंने घर के बड़े-बड़े खर्चों में अपनी छोटी सी भागीदारी देनी शुरू की। जब घर के बड़े फैसलों में बैठना शुरू किया और जब हर हां और ना में, मेरा भी मोल हो गया।
हालांकि मैं समझती हूं कि मुझे बड़े होने का एहसास अब थोड़ा ज्यादा होता है। घर से बाहर एक बड़े शहर में अकेले रहना, सारी चीजों को खुद ही हैंडल करना, बीमार पड़ने पर भी घर में 'बढ़िया हैं' कह देना और टाइम से घर के अंदर दाखिल होने की जिम्मेदारी का होना, मुझे बड़ा होने का एहसास दिलाता है।
लेकिन बड़े होने का यह एहसास आज इस उम्र में सबसे ज्यादा तब होता है, जब मैं अपने मां-बाप को बूढ़ा होते देखती हूं और यह एहसास होना किसी पीढ़ा से कम नहीं है। मुझे अच्छा लगता है जब उनकी जरूरतों का ख्याल मैं और भाई मिलकर उठा लेते हैं। अच्छा लगता है, जब वे सामने से अपनी ख्व्हाइशों की पेटी धीमे से खोलकर एक अर्जी थमा देते हैं, लेकिन उनका बूढ़ा होना अक्सर खलता है और ऐसे में इस एहसास से मैं खुद को मुक्त करने की कोशिश बहुत करती हूं। सोचती हूं कि बड़े होने का एहसास कितना अच्छा और उसी समय कितना दिल दहला देने वाला है।
इसी तरह मेरे लिए बड़े होने के कई सारे मायने हैं और मैं उन सब से गुजरते हुए अपने अंदर के बच्चे को कहीं किसी कोने में जिंदा रखने की पुरजोर कोशिश करती रहती हूं। बड़ा तो हर किसी को एक न एक दिन होना होगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप बड़े होने के लिए अपने जीवन को नीरस बना देंगे।
आखिर वॉल्ट डिज्नी ने भी बड़े होने पर कहा है- 'बुढ़ापा अनिवार्य है, लेकिन बड़ा होना वैकल्पिक है'।
लेखक- भावना शुक्ला
(भावना एक कुशल गृहणी हैं। उन्होंने एमएससी की पढ़ाई करने के बाद, एमबीए किया। उन्हें गार्डनिंग के साथ-साथ फिल्में देखना और खानेपीने का बहुत शौक है।)
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।