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नौकरी और परिवार के बीच संघर्ष था भारी, बेटी की मासूम हंसी ने दी नई ताकत...फिर निभाई हर जिम्मेदारी

समाज के अनुसार, लड़कियों का जीवन चारदीवारी के बीच खाना बनाने तक सीमित है। लेकिन बदलते दौर में महिलाएं न केवल परिवार बल्कि घर के फाइनेंस में बराबरी की हिस्सेदारी निभा रही हैं। यहां आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो फैमिली और करियर की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही हैं।
Editorial
Updated:- 2025-05-24, 19:20 IST

पहले के समय में लड़कियों का जीवन आज की तुलना में काफी मुश्किल भरा था। लेकिन इन सभी बाधाओं को तोड़ते हुए महिलाएं, पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। कहने को हम आज मॉर्डन युग में जी रहे हैं, लेकिन आज भी कई ऐसी चीजें समाज में देखने को मिल जाती है, जो सोचने पर मजबूर कर देते हैं। जैसे वर्किंग वुमेन को देखकर आज भी कई लोगों को यह लगता है कि अगर ये लड़की काम कर रही है, तो घर की जिम्मेदारियों को निभाने में असमर्थ होगी। इस परंपरागत सोच के चलते आज भी लड़कियों को घर के कामकाज और परिवार की देखभाल तक सीमित रखा जाता था।  लेकिन इस सोच को गलत साबित करते हुए कई महिलाएं ऐसी हैं, जो अपने परिवार के साथ घर के फाइनेंस में बराबरी का हिस्सा निभा रही है। इस लेख में आज हम आपको वर्किंग वुमेन  रबिशा की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो नौकरी और परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं।

नौकरी और परिवार के बीच बेटी बनी ताकत

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आज की ज़िंदगी में वर्किंग मदर्स के लिए नौकरी और परिवार को बैलेंस बनाकर एक बड़ी चुनौती है। मेरे लिए भी यह सफर कभी आसान नहीं था। वर्तमान में कंटेंट मैनेजर की पोस्ट पर काम कर रही हूं। अब ऐसे में ऑफिस के जिम्मेदारी, स्ट्रेस से लेकर घर की चीजों को संभालना मुश्किल भरा रहा था। लेकिन इस सफर में मेरी बेटी की मासूम हंसी ने मुझे ताकत दिया।

नौकरी और परिवार के बीच रहा संघर्ष

घर और काम के बीच बैलेंस बनाना कई बार मुश्किल हो जाता है। कई बार ऑफिस के काम की डेडलाइन, किचन का काम, सास-ससुर की देखभाल और पति की उम्मीद इन सबको संभालते हुए मैं कई बार थक जाती है। अब ऐसे में स्ट्रेस होना नॉर्मल है। ऐसे में कई बार लगता है कि सारी जिम्मेदारियां मुझे अकेले ही निभानी हैं।

बेटी की मासूम हंसी से मिलती है एनर्जी

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मेरी एक बेटी है, जिसका नाम रावी है, जो केवल दो साल की है। हर किसी के जीवन कोई न कोई एक ऐसा आइडल होता है, जिसे देखकर उसे ताकत मिलती है। मेरे लिए मेरी लाइफ की प्रेरणा मेरी बेटी रावी है। उसकी हंसी और बचपन की नादानी मुझे स्ट्रेस से बाहर निकलने में मदद करती है। वह कभी मीटिंग में आकर मस्ती करती है, तो कभी अपने छोटे-छोटे कदमों से आते हुए कलरफुल बनाती है। रावी की मौजूदगी ने मुझे सिखाया कि जीवन की सबसे बड़ी ताकत प्यार और परिवार है।

परिवार का मिला साथ और सपोर्ट

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कहते है ना कि अगर सफर में परिवार का साथ मिल जाए, तो उसे जिम्मेदारी को पूरा करना आसान होता है। इस सफर में बहुत लकी हूं कि मेरी पूरे सफर में मेरी मां-पिता, सास-ससुर और पति का सपोर्ट मिल रहा है। उनके हेल्प और समझदारी के बिना परिवार और नौकरी को बैलेंस कर पाना संभव नहीं हो पाता। पति का मेंटली और इमोशनली सपोर्ट ने मुझे कठिन समय में संभाला और हर चुनौती को आसान बनाया।

थकावट और स्ट्रेस के बीच में भी मैंने अपनी जिम्मेदारियों को निभाया क्योंकि मैं जानती थी कि मेरा स्ट्रगल केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि मेरी बेटी और मेरी टीम के लिए भी है। मैं न केवल एक कंटेंट मैनेजर के रूप में सक्सेसफुल रही बल्कि अपने लाइफ के हर एक जरूरी रोल के लिए पिलर बन पाई।

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