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how to complete your dreams by guest author

बस हौसला कभी मत खोना....जिंदगी में कभी पीछे नहीं छूटेंगे आपके सपने

अपने सपने साकार होते देखना हर कोई चाहता है, हर एक वक्त के बाद हमारा हौसला टूट जाता है। पर वो कहते हैं ना अगर कुछ चीज शिद्दत से चाहो, तो हर काम आसान हो जाता है।&nbsp;&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Guest Author
Editorial
Updated:- 2023-07-26, 17:09 IST

सपने देखा और साकार करना बहुत खूबसूरत एहसास होता है। पर सबसे ज्यादा दुख तब होता है जब सपने अधूरे रह जाते हैं और टूटे सपने हमें अंदर से तोड़कर रख देते हैं। ऐसे वक्त में..हमें किसी के सहारे से ज्यादा हौसले की जरूरत होती है। तो बस जब मेरा सपना टूटा था तो तब मैंने एक कविता लिखी थी, जिसने सपना साकार करना सिखाया और मुझे नया हौसला दिया। 

मन में उठती है आशा

कुछ कर दिखाने की,

आशा एक उम्मीद है

चट्टानी,राहो,हर मुश्किल रास्ते से गुजर जाने की,

आशा ही एक उम्मीद है,

अपनी मंज़िल तक पहुंचाने की,

क्योंकि, आशा ही एक उम्मीद है

कल के उजाले की,

ना कर आशाओं का दमन

क्योंकि,यह आहट है कल के अंधेरों की,

हे।अंधेरा आशाओं में

ना हे उम्मीद कुछ कर दिखाने की,

मत हार इस ज़िंदगी से

करले मेहनत इस ज़िंदगी में,

आशा ही है नामुमकिन को मुमकिन बनाने की,

क्योंकि आशा ही एक उम्मीद.....। 

Geeta author

आशा हमें सपने देखने के लिए मजबूर करती है और उम्मीद सपने साकार करने की हिम्मत देती है। अगर दोनों अल्फाज न हो....तो सपनों को साकार करना काफी मुश्किल हो जाएगा...। हेलो..मेरा नाम अर्शी परवीन है...यह दो अल्फाज ऐसे हैं, जिसने मुझे हिम्मत दी अपने परिवार और दुनिया से लड़ने की। 

आज में एक वकील हूं..यह टैग...नाम कमाने के लिए मैंने कितना संघर्ष किया है ..यह मेरा खुदा जानता है। मेरे घर वाले मुझे जर्नालिस्ट बनाना चाहते थे।  इसलिए मैंने बीए. हिंदी पत्रकारिता में किया...और अपनी जिंदगी के 3 साल दिए पर... वो कहते हैं ना जब कोई काम आपके मनमुताबिक न हो...तो कितना भी अच्छा हो..मजा नहीं आता। 

ऐसा ही मेरे साथ हुआ...मैं सिर्फ पढ़ने जाती...सपने साकार करना तो दूर की बात है। न मेरे नंबर अच्छे आते और न मुझे पढ़ने में मजा आता। मैं रोज खुद से लड़ती...मुझे याद है जब मेरा कॉलेज में आखिरी दिन था और मुझे अफसोस सिर्फ इस बात का था कि काश...मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाई होती...काश मैंने घर पर बोला होता कि मुझे वकील बनना है, पत्रकारिता नहीं। 

पर पता नहीं उस दिन मुझे किया हुआ था..मेरे दिल से आवाज आई....चल यार फिर से शुरू करते हैं....। फिर क्या उम्र के बढ़ते पड़ाव में मैंने फैसला किया मैं वकील बनने के लिए फिर से पढ़ाई करूंगी और 4 साल खुद को दूंगी और मैंने यह करके दिखाया। मैंने देवबंद के सबसे अच्छे कॉलेज में एडमिशन लिया और दिल लगाकर पढ़ाई की। नतीजा आज मैं एक वकील हूं.....हां आसान नहीं था सपना साकार करना....पर वो कहते हैं ना हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। 

 

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