रिश्तेदारों की चिंता छोड़कर ही जिंदगी में आगे बढ़ा जा सकता है

रिश्तेदार किसी के अच्छे नहीं होते ये शायद सभी कहते हैं, लेकिन रिश्तेदारों को इतना महत्व देना क्या सही है? 

How relatives can affect mental peace

आपकी जिंदगी के कई पहलू होते हैं और हर पहलू किसी एक तरह से चलता रहे ये जरूरी नहीं है। पर चाहे आप अपनी जिंदगी के किसी भी पड़ाव पर हों एक ऐसी प्रजाति जरूर होती है जो आपकी खुशी में दुखी और दुख में खुशी मनाने का मौका नहीं छोड़ती और वो प्रजाति है 'रिश्तेदार'। यकीन मानिए ये पहलू इतना बड़ा है कि आपकी जिंदगी पर पूरी तरह से हावी हो सकता है। अगर आपको मेरी बात अपवाद लग रही है तो आप खुद अपनी जिंदगी के कई किस्से याद कीजिए। रिश्तेदार बहुत ज्यादा परेशान कर सकते हैं क्योंकि उन्हें अपनी जिंदगी से ज्यादा आपकी जिंदगी में इंटरेस्ट होता है। ये उस प्रजाति के लोग होते हैं जो आपकी जिंदगी के बिग बॉस बनने की कोशिश करते हैं।

कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि ये रिश्तेदार ना होते तो कितना अच्छा होता। किसी की जिंदगी नॉर्मल नहीं होती है और उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा होते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर चीज़ के लिए आपको क्रिकेट कमेंट्री की तरह रिश्तेदारों की बातें सुननी ही पड़े, लेकिन अगर आपकी जिंदगी में कुछ गलत हुआ है तो आपके घर वाले भले ही कुछ ना कहें, लेकिन रिश्तेदारों की तरफ से 'कारण बताओ नोटिस' जरूर जारी हो जाएगा।

अगर लड़की 30 की उम्र पार करने के बाद सिंगल है तो रिश्तेदारों को किस तरह की फीलिंग होती है इसका अंदाज़ा शायद हिंदुस्तान की हर सिंगल लड़की लगा सकती है। शादी करने के फायदों से लेकर सिंगल लड़कियों की जिंदगी में कितनी समस्याएं हो सकती हैं इसपर तो रिश्तेदारों ने वेद-पुराण और पोथी सब कुछ लिख लिया होता है। अगर लड़की की शादी तय हो गई तो उन्हें इस बात की चिंता हो जाती है कि भला उसे अच्छा लड़का कैसे मिल गया और उसकी जिंदगी में एक साथ इतनी खुशियां कैसे आ गईं।

problems with relatives

यहीं अगर किसी वजह से लड़की की शादी में कोई दिक्कत आ जाए या फिर लड़का ही खराब निकल जाए और लड़की खुद अपनी मर्जी से शादी तोड़ ले तो समाज ये मानने को तैयार ही नहीं होता कि रिश्ता उसने तोड़ा है या उसकी कोई गलती नहीं। बस संसार का सारा बोझ उसी लड़की पर डाल दिया जाता है और ये समझाया जाता है कि भाई साहब उसकी तो पूरी जिंदगी का अब कोई महत्व नहीं है और तब आपको असल मायने में ये पता चलता है कि कौन अपना और कौन पराया।

उस वक्त रिश्तेदार हर मुमकिन कोशिश करते हैं कि आपकी जिंदगी के हर हिस्से की बुराई कैसे की जा सके। उन्हें ये लगता है कि लड़की आवारा है, बद्तमीज है, किसी काम की नहीं है, लड़की का तो चक्कर होगा और भांति-भांति की चीज़ों के बाद ये भी बताया जाता है कि लड़की की तो सुंदरता ही शायद आड़े आ गई होगी।

relatives and their issues

जिंदगी आपकी है और ध्यान आपको देना है

मेरे साथ-साथ ऐसा कई लड़कियों ने फील किया होगा और उन्हें भी जिंदगी में इस तरह की समस्याएं फेस करनी पड़ी होंगी। मैंने भी इसके कारण काफी कुछ झेला है और भले ही ऊपरी तौर पर ये लगे कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अंदर से काफी कुछ महसूस होता आया है। बहुत बाद में मुझे ये एहसास हुआ कि ये सही नहीं है और इसपर ध्यान देना व्यर्थ है। मेरी जिंदगी में जिन लोगों की कीमत है वो हमेशा मेरे साथ रहेंगे और रिश्तेदारों की चिंता करना अब मैंने छोड़ दिया है।

आपको भी यही समझना चाहिए कि जो लोग आपके पीठ पीछे बोल रहे हैं वो आपको हर्ट कर रहे हैं, जो खुलेआम आपकी बेइज्जती कर रहे हैं वो आपको हर्ट कर रहे हैं, जो इस तरह के सवाल पूछ रहे हैं जिनका कोई सिर-पैर नहीं है पर वो आपको परेशान कर रहे हैं तो वो आपको हर्ट कर रहे हैं। ऐसे लोगों की बातें जितनी कम सुनी जाएं जीने के लिए उतना ज्यादा अच्छा है।

सुरभि शुक्ला

(मीडिया कम्युनिकेशन्स, टीचिंग और फिर कंटेंट क्रिएशन के फील्ड में सुरभि पिछले 10 सालों से एक्टिव हैं। सुरभि शुक्ला को ट्रैवल करना और अपने एक्सपीरियंस शब्दों के रूप में बयां करना बहुत अच्छा लगता है। उनका मानना है कि जो बोलना है खुलकर बोलना चाहिए)

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