बिना प्लान और बजट के कुछ इस तरह किया मैंने जयपुर का सफर

जयपुर दुनिया भर में गुलाबी शहर के लिए मशहूर है। क्योंकि यहां की इमारतें गुलाबी बलुआ पत्थर से बनी हैं। आइए जानते हैं कि कैसे मैंने बिना प्लान किए जयपुर एक्सप्लोर किया। 

Personal Experience of jaipur solo trip without budget and plan ()

अगर आपको जिंदगी जीना है, तो हमेशा अपने दिल की सुनें। अगर आप खुद को जानना चाहते हैं, तो कुछ एडवेंचर जरूर करें। मेरे लिए सपने को जीने के मतलब है कि हम अपने सबसे पसंदीदा जगह जाएं। वहां घूमें और नई चीजों के बारे में जानें। वहां के लोगों से बात करें। वहां का रहन-सहन, खान-पान को समझने की कोशिश करें। कई बार ऐसा होता है कि हमारे पास इतना काम होता है कि हम खुद के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं। वहीं अगर घूमना भी चाहें, तो ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ती है। यहां तक कि कोई गारंटी नहीं कि आपको छुट्टी मिलेगी भी या नहीं। अभी फिलहाल मैं दिल्ली में जॉब कर रही हूं। ऑफिस का काम सब सही चल रहा है, लेकिन कभी-कभी खुद के साथ वक्त बिताने का समय नहीं मिल पाता है। वहीं सप्ताह में 2 दिन की छुट्टी भी होती है। तब मैंने सोचा कि क्यों न आसपास घूम लिया जाए। यह सोचते-सोचते मैं रील सक्रोल करने लग गई। तब मैंने रील में जयपुर के बारे में देखा। तब मैंने जयपुर जाने का प्लान बना लिया, बिना कुछ सोचे-समझे बना लिया और कहा कि आगे जो होगा देखा जाएगा।

सोलो ट्रिप पर निकली जयपुर

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मैने शुक्रवार की रात को जयपुर के लिए बस लिया। बस के लिए ज्यादा पैसे नहीं लगे। मैं लगभग साढ़े तीन घंटे में जयपुर पहुंच गई और सबसे पहले होटल लिया। मुझे होटल 500-1000 के बीच मिल गया। दरअसल मैं बिना बजट और प्लान के जयपुर घूमने के लिए निकल पड़ी थी, तो सोचा कि ज्यादा नहीं घूमना है, कुछ शॉपिंग करूंगी और बढ़िया खाना खाऊंगी।

बिना घरवालों को बताए किया सफर

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मैंने जयपुर का सफर बिना अपने माता-पिता को बताए किया। ताकि उन्हें किसी बात की कोई टेंशन न हो कि मैं अकेले हूं। अब मैं जयपुर आई और अपने घरवालों के लिए भी शॉपिंग की।

हवा महल और पत्रिका गेट किया भ्रमण

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जयपुर के पहले दिन मैं हवा महल गई और पत्रिका गेट भी देखा। दोनों अपनी परंपरा, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। उसके बाद मैंने वहां के लोगों से बात की। उन्होंने मुझे 'खम्मा घणी' बोलना सिखाया। यह राजस्थानी में अभिवादन के लिए बोला जाता है। उसके बाद मैंने दाल-बाटी खाई। यह राजस्थानी व्यंजन है।

कम बजट और समय में किया एक्सप्लोर

मैंने आधी रात में जयपुर जाने का प्लान बनाया। इसके लिए मैंने कोई बजट भी नहीं बनाया। मेरे पास केवल तीन हजार ही रुपए थे। मैंने बिना सोचे मात्र 2 दिन के लिए जयपुर का सफर किया और दूसरे दिन रात्रि में मैंने दिल्ली रवाना के लिए बस लिया।

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Image Credit - Aiman Khan
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